रिपोर्ट – प्रवेश पाण्डेय
अयोध्या – रामनगरी अयोध्या में मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद से पूरे देश दुनिया के राम भक्त अयोध्या पहुंचकर 5 साल के बालक रूप में प्रभु राम का दर्शन पूजन कर रहे हैं। ऐसे में राम मंदिर ट्रस्ट ने एक बड़ा फैसला लिया है अब प्रभु राम का दर्शन पूजन करने वाले भक्तों के माथे पर ना ही तिलक लगेगा और ना ही पुजारी गर्भ गृह में भोग लगे हुए बालक राम के चरणामृत का प्रसाद देंगे।
आपको बता दें कि राम मंदिर ट्रस्ट ने तत्काल प्रभाव से गर्भ गृह के पुजारी को ऐसा करने से रोक लगा दी है | इसके साथ साथ जो पुजारी को दक्षिणा प्राप्त होती थी वह भी दान पेटी में जाएगी। राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास जी ने कहा कि हर मंदिरों में भक्तों को चरणामृत और चंदन लगाया जाता है। रामानंदी शास्त्रों में वर्णन है कि रामानंदी परंपरा के मंदिर में चरणमृत दिया जाए लेकिन राम मंदिर ट्रस्ट ने भक्तों को इसके लिए वंचित किया है। इसके साथ ही तिलक चंदन को भी बंद कर दिया गया है।
बता दें कि अभी तक भक्तों को चंदन लगाया जाता था। प्राण प्रतिष्ठा हो गई उसके बाद जो भी कार्य हो रहे है उसमें सब रामानंदी संप्रदाय के अनुकूल नहीं। जितने भी मंदिर हैं या रामानंदाचार्य जी के परंपरा के सब मे चरणामृत मिलता है क्योंकि भगवान के जो शालिग्राम भगवान के जो स्नान कराए जाते हैं उसी को चरणामृत के रूप में दिया जाता है और साथ-साथ मंत्र भी पढ़े जाते हैं कि जन्म जन्मांतर के जो हमारे प्राश्चित है और जो अकाल मृत्यु होती है यह कुछ ना हो, इसके लिए मंत्र पढ़कर चरणामृत दिया जाता है। उससे आने वाले भक्तो व चरणामृत से कल्याण होता है। लेकिन यह नहीं हो रहा। उसके बाद भगवान के लगाये हुए टीके के बाद जो बचा हुआ चंदन है उसको भक्तों को लगाया जाता हैं, लेकिन इस पर भी अब प्रतिबंध कर दिया गया है। बाकी अन्य किसी भी मंदिर में ऐसा प्रतिबंध नही हैं।
श्री राम जन्मभूमि मंदिर में काफी दिनों से यह शिकायत श्री राम मंदिर ट्रस्ट के पास आ रही थी कि सभी राम भक्तों के साथ समान व्यवहार नहीं हो रहा है| कुछ लोगों को विशिष्ट सुविधा मिल रही हैं, उन्हें चंदन का तिलक लगाया जा रहा है और चरणामृत भी दिया जा रहा है| मंदिर ट्रस्ट ने अब इस व्यवस्था को ही खत्म कर दिया है|अब सभी को एक समान ही भगवान के दर्शन होंगे