रिपोर्ट – विश्व प्रताप सिंह राघव
उत्तर प्रदेश – मुलायम सिंह सरकार में राम भक्ति एक अपराध था और यह बात हम नहीं कह रहे बल्कि जेल से दिये गए सर्टिफिकेट इस बात की तस्दीक़ कर रहे है। 1990 के उस दौर में अयोध्या कार सेवा करने जा रहे कारसेवकों को जब पुलिस ने बंदी बनाया और जेल में ठूंस दिया तो जेल की तरफ से उनको एक प्रमाण पत्र दिया गया था, जिसमें अपराध का कारण लिखा था “राम भक्ति” चालान। आज हम आपको कुछ ऐसे ही कारसेवकों की कहानी बताएंगे जिनकी राम भक्ति उनके लिए अपराध बन गई। उन्ही कारसेवकों में है अलीगढ़ के मनोज अग्रवाल, अर्जुन देव वार्ष्णेय और अनुराग वार्ष्णेय।
आज पूरे विश्व के सनातनियों का राम मंदिर बनने का सपना साकार होने जा रहा है। 22 जनवरी को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर का उद्घाटन करेंगे और उसके बाद यह मंदिर लोगों के दर्शनों के लिए खुल जाएगा। लेकिन इस राम मंदिर के बनाने के पीछे एक बहुत बड़ा संघर्ष भी किसी से छुपा नहीं है। सन 1990, यह वह दौर था जब अयोध्या में कार सेवा करने के लिए पूरे देश से हिंदूवादियों का जत्था उमड़ पड़ा था। प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। मुलायम सिंह उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। मुलायम सिंह ने अपने अधिकारियों को स्पष्ट आदेश दिया हुआ था कि अयोध्या में व्यक्ति क्या कोई परिंदा भी पर ना मार पाए। इसके बाद कार सेवा करने जा रहे लोगों को पुलिस के कोप भाजन का शिकार बनना पड़ा था। पुलिस ने बड़ी मात्रा में कार सेवकों के ऊपर बर्बरता की और उन्हें जेल में ठूंस दिया गया था। उस समय मुलायम सिंह सरकार में राम भक्ति भी एक अपराध था। अलीगढ़ में सैकड़ो कर सेवकों को पुलिस ने जेल में ठोस दिया था और जब वह जेल से रिहा हुए तो उनको एक प्रमाण पत्र दिया गया जिस पर अपराध था राम भक्ति चालान। ऐसे ही कुछ कार सेवक मनोज अग्रवाल अर्जुन देव वार्ष्णेय और अनुराग वार्ष्णेय ने हमको अपने वह सर्टिफिकेट दिखाएं जब वह कार सेवा करने में जेल गए और जब जेल से रिहा हुए थे तब जेलर ने उनको वह सर्टिफिकेट दिए थे।
कार सेवा में जेल गए अलीगढ़ के मनोज कुमार अग्रवाल ने बताया कि 1990 का दशक राम जन्म भूमि के लिए पूरे देश में करोड़ों रामभक्त जुनून में थे। विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में कार सेवा का आह्वान किया। हर जिले से लाखों लोग कार सेवा के लिए प्रस्थान कर रहे थे। हमारा भी डेढ़ सौ लोगों का जत्था था केशव नगर का रेलवे स्टेशन के लिए निकला जिसको हमें रास्ते में रोककर गिरफ्तार कर लिया गया और कारागार में भेज दिया गया। मुलायम सिंह की सरकार उस समय राम भक्तों पर विशेष जुल्म ढा रही थी। यदि कोई भगवा पटका पहनकर निकल जाता था तो उसको शक की निगाहों से देखा जाता था। उससे पूछताछ होती थी। जो संदिग्ध लगता था तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाता था। तिलक लगाने से भी भय लगता था। मुगल काल की यादें ताजा हो गई थी। मुगल आक्रांता जिस तरह से हिंदू संस्कृति को मिटाने के लिए कार्य किया उस तरह समाजवादी पार्टी सरकार राम भक्तों को तोड़ने के लिए अपनेजुल्मों सितम में कोई कमी नहीं छोड़ रही थी। क्योंकि हम लोगों का कोई अपराध नहीं था। हम लोग अयोध्या जा रहे थे। अयोध्या जाने में हमें कार सेवा के लिए रोका गया था तो 107/16 के तहत हमारा जो अपराध था राम भक्ति तो उस समय के जो जेलर महोदय थे उन्होंने हमें प्रमाण पत्र जारी किया और उस अपराध को जो समाजवादी पार्टी की सरकार में अपराध था राम भक्ति। उसको उसमें लिखा गया। आज उस समय राम भक्ति को अपराध बताने वाले अपने आप को राम भक्त बताते हैं कि यह समय का परिवर्तन है। पहले जो लोग राम के अस्तित्व को नकारते थे न्यायालय में हलफनामा देते थे रामसेतु के अस्तित्व को नकारते थे राम मंदिर की जगह चिकित्सालय और शौचालय बनाने की बात करते थे। वही आज अपने आप को रामभक्त कहलाने की होड़ में लगे है कि अपने आप को किस प्रकार राम भक्त कहलवाए। यह उपलब्धि बड़ी नहीं बहुत बड़ी उपलब्धि है। 500 वर्षों का सतत संघर्ष है। लाखों लोगों का बलिदान है। करोड़ों लोगों ने इसमें कष्ट सहा है और आज हम इस राम मंदिर को देख पा रहे हैं। यह हमारा सौभाग्य नहीं परम सौभाग्य है। हम उस पीढ़ी में जन्मे हैं। हमारे बुजुर्गों ने अपने मंदिरों को ध्वस्त होते हुए देखा है। हम इस मंदिर का निर्माण होते हुए देख रहे हैं। हम परम सौभाग्यशाली हैं हमारी पीढ़ी भी परम सौभाग्यशाली है यह सब संभव हो पा रहा है मोदी जी और योगी के नेतृत्व के कारण। परिवार के लोगों ने भी हमें बहुत सहयोग किया। हमारा अपराध था केवल राम की भक्ति।
उस समय जेल गए एक अन्य व्यक्ति अर्जुन देव वार्ष्णेय ने बताया कि यह वाक्या 28-10-1990 के आसपास का, उस समय हम लोगों का एक जत्था था जो अयोध्या जा रहा था इस दौरान हमको पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। हमारे साथ डेढ़ सौ करीब कार्यकर्ता थे| जिनको लेकर हम जेल गए। उन्होंने हमें जेल में बंद करके रखा 10 दिनों में अलीगढ़ का जो जिला प्रशासन है उनकी तरफ से हमें सर्टिफिकेट दिया गया| उसमें लिखा था राम भक्ति यानी जिस धारा में हम बंद थे राम भक्ति। राम भक्ति में उन्होंने हमें बंद किया था। 13 दिन हम जेल में रहे थे और तेरहवें दिन हमको जेल से छोड़ दिया था। उस समय-समय समाजवादी पार्टी की सरकार थी और सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव थे। उन्होंने कहा था कि अयोध्या में कोई भी परिंदा पर नहीं मार सकता। लेकिन हम लोग जाने को तैयार थे। हम लोग वहां पर जाकर कुछ भी कर देते। जेल में उन्होंने हमें 13 दिन बंद रखा और उसके बाद छोड़ दिया। सर्टिफिकेट केवल हमें इसलिए दिया था कि हम जेल में बंद रहे थे और उस समय धारा थी केवल राम भक्ति। जैसे आज के समय में अन्य धारा होती हैं | उस समय मुलायम सिंह की सरकार थी तो राम भक्ति की धारा का हमें सर्टिफिकेट मिला था। सरकार से हमें बस यह मांग है कि सरकार ने इतना अच्छा काम किया है। 500 वर्ष बाद हमें राम मंदिर मिला है तो उसके लिए सरकार बधाई की पात्र है। हम चाहते हैं कि जिन लोगों ने कार सेवकों ने इसमें भाग लिया था उनको इतना हक दिया जाए कि जब भी वह मंदिर जाए दर्शन के लिए उनके परिवार को विशिष्ट सुविधा दी जाए ताकि दर्शन जल्दी हो सके। नया मंदिर है भीड़ भी बहुत होगी। लाखों की तादात में लोग आएंगे तो हम लोग जिन्होंने मेहनत की उनको दर्शन करने में आसानी रहे।
इनके साथ ही कार सेवा में जेल गए अनुराग वार्ष्णेय ने बताया की हम लोग राम मंदिर के लिए अयोध्या गए थे और अयोध्या जाने के लिए रास्ते में पुलिस ने पकड़ने की कोशिश की। मैं विश्व हिंदू परिषद के ग्रुप में गया था और वहां पर पुलिस ने पकड़ने की कोशिश की तो उनसे नजर बचाकर मैं स्टेशन की तरफ चला गया। बाकी लोगों को उन्होंने गिरफ्तार कर लिया लेकिन मैं निकल कर भाग गया था। उन्होंने मुझे ट्रेन में पकड़ लिया और मेरा पैर तोड़ दिया डंडा मार के, उस समय मुलायम सिंह की पुलिस उसने बुरी तरीके से मुझे पीटा और पीटने के बाद बन्ना देवी थाने ले गए और वहां ले जाकर मुझे एक दिन वही रखा और जो प्रताड़ना दे सकते थे उन्होंने वह दी। उसके बाद शहर के लोगों ने कोशिश करके मेरा चालान करवा कर मुझे जेल भिजवाया। जेल में टूटे हुए पैर से मैंने समय काटा और बहुत बुरा समय था। जब मैं जेल में था तो मेरे घर वाले बहुत परेशान थे और उस समय यह माहौल हो रहा था कि अगर कोई आदमी मंदिर भी जाता तो पाप कर रहा है। मंदिर जाने की भी हिम्मत नहीं होती थी। जैसे हम हिंदुस्तान में नहीं रह रहे किसी मुस्लिम देश में रह रहे हो । वहां जो सलूक हिंदुओं के साथ होता है वही हमारे लिए हो रहा था यूपी में, हम जेल में गए थे जेल में रहे थे जब जेल से हम निकले तो हमें निकलते समय यह सर्टिफिकेट दिया गया था कि राम मंदिर के लिए हम लोग गए थे। ये उसका सर्टिफिकेट है। हम 11-12 दिन जेल में रहे थे। सरकार से हम यही डिमांड करते हैं कि राम मंदिर में जब भी हम जाए या कोई भी हो तो हमारी सुरक्षा हमारा आना-जाना जो ऐसा हो जाए कि हम लोग मंदिर का दर्शन आसानी से हो सके। उस समय करीब 300- 400 लोग अलीगढ़ के अंदर बंद हुए थे | जेल में और कई लोग ऐसे थे जिन्हें दूसरे जिलों में शिफ्ट किया गया था। उस समय बहुत बुरा हाल था| जिलों के अंदर बहुत बुरा हाल था। हम बहुत अच्छा फील करते हैं कि हम खुश हैं कि हमने राम मंदिर का काम किया और आज राम मंदिर बन रहा है। हमें बहुत खुशी है इस मंदिर के लिए हमने जो किया वह सपना हमारा साकार हो रहा है। जिन लोगों ने विरोध किया आज वह ईमानदार बन रहे हैं। किस बात के ईमानदार है। मुलायम सिंह ने गोलियां चलवाई थी कार सेवकों पर जगह-जगह तांडव हुआ जुल्म की अथाह कर दी इन लोगों ने, वह आज की तारीख में क्या हाल है। वह कहते हैं कि हमारे राम हमारे राम। किस चीज के राम है उनके, उस समय मौलाना हो रहे थे मौलाना मुलायम। हमारे राम के लिए उन्होंने इतना विरोध किया कि ये लोग कसम खाकर बैठे थे की वहां इंसान क्या परिंदा भी नहीं जा पाएगा फिर भी हमारे लोग पहुंचे। इसमें मुलायम सिंह की हार हुई और यह बहुत अच्छा हुआ।