यात्रा पर सवाल ,घटती संख्या पर बवाल ! 

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में इस साल चारधाम यात्रा ने श्रद्धा और आंकड़ों दोनों के नए कीर्तिमान गढ़े हैं। सरकार के अनुसार अब तक 25 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं और लाखों की संख्या में रजिस्ट्रेशन जारी हैं। धामी सरकार इसे उत्तराखंड की ऐतिहासिक उपलब्धि बताकर, चार धाम को विश्वस्तरीय धार्मिक पर्यटन का प्रतीक बना देने की बात कर रही है। दावा है कि देश ही नहीं, विदेशों से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं — और यह राज्य के पर्यटन और पहचान दोनों के लिए एक नई शुरुआत है। लेकिन विपक्ष इस उपलब्धि पर सवाल उठा रहा है। उनका कहना है कि यह सफलता सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस और ट्विटर पोस्ट तक सीमित है, जबकि ज़मीन पर हालात अब भी चिंताजनक हैं। केदारनाथ जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ऑक्सीजन की कमी, अचानक स्वास्थ्य बिगड़ने और लंबी पैदल यात्रा के चलते हृदयाघात और मौतों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। श्रद्धालुओं को न तो पर्याप्त टेंट मिल रहे हैं, न शौचालय, न मेडिकल सुविधा। घोड़े-खच्चर वालों की मनमानी कीमत, होटलों में बेतहाशा किराया वसूली, और हेलीकॉप्टर सेवाओं में अनियमितता यात्रियों की कठिनाई को और बढ़ा रही हैं। ऊपर से मौसम की मार, अचानक बारिश या भूस्खलन जैसे हालात यात्रा को और ज़्यादा जोखिम भरा बना रहे हैं। VIP दर्शन और पंजीकरण की खामियों ने कई लोगों को घंटों लाइन में खड़ा रहने को मजबूर किया है। अब सवाल ये है — क्या चारधाम यात्रा वाकई “सफल” है, या फिर ये एक ऐसी धार्मिक यात्रा बन चुकी है जहां व्यवस्था श्रद्धा पर भारी पड़ती दिख रही है. क्या धामी सरकार का विजन सिर्फ आंकड़ों की ब्रांडिंग है, या फिर कभी वो तस्वीर भी दिखेगी जिसमें आस्था के साथ-साथ सुविधाएं भी मिलें। क्या ये यात्रा सरकार की तैयारी का प्रमाण है या फिर सिस्टम की असलियत का आईना .

 एक तरफ भाजपा सरकार वर्ष 2025 में शुरू हुई चार धाम यात्रा में रिकॉर्ड तोड़ यात्रियों के आने का दावा कर रही है तो वहीं विपक्षी दल भी सरकार के इस दावे की पोल खोलते नजर आ रहे हैं दलों का मानना है कि सरकार ने दावे अनेक किए हैं लेकिन धरातल पर यात्रियों की संख्या बीते वर्षों के बाद से घटी है सरकार को सिर्फ प्रचार प्रसंग पर ही विश्वास है बाकी इसके अलावा जमीनी स्तर पर यात्रियों को यात्रा करने के लिए कहीं संघर्ष झेलना पड़ रहे हैं वही चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के महासचिव डॉ बृजेश सती ने चारधाम यात्रा में लगातार घट रही यात्रियों की संख्या और बहुत तेज गति से बढ़ रहे कैंची धाम में यात्रियों की संख्या के आंकड़ों की तुलना की है. इसका निष्कर्ष निकालते हुए उन्होंने इसके पीछे चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों के लिए सरकार द्वारा कम व्यवस्था करने को वजह बताया है.
उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप ने की चार धाम यात्रा को स्थगित किए जाने की मांग की है उनका मानना है की मुख्यमंत्री मौसम विभाग की घोषणा का संज्ञान लें मानसून शुरू हो गया है राज्य में भारी वर्षा के हैं आसार है. विमान दुर्घटनाओं और हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं से पहले ही देश और राज्य है भयभीत है ऐसे में सरकार को ऐतिहातन कदम उठाया जाना जरूरी है,विपक्षी दल घटती चार धाम में श्रद्धालुओं की संख्या और व्यवस्थाओं को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगा रहा है है ,वही भाजपा सरकार यात्रा को दुरुस्त चलने का दावा कर रही है।

लगातार धामी सरकार के आने के बाद से चारधाम यात्रा पर यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है बात करे पिछले साल 15 प्रतिशत यात्री यमुनोत्री, 17 प्रतिशित गंगोत्री धाम, 32 प्रतिशत बदरीनाथ धाम गए. जबकि सबसे अधिक 36 प्रतिशत यात्रियों ने केदारनाथ मंदिर में दर्शन किए. चारधाम तीर्थ पुरोहित का कहना है कि चारधाम आने वाले यात्रियों की असल संख्या जो दी जाती है, उससे कई कम यात्री धामों में आते हैं. दरअसल एक ही यात्री को चार बार गिना जाता है. इससे यह संख्या अधिक हो जाती है. रजिस्ट्रेशन पर भी सवाल उठाए जा रहे है यात्रा में यात्रियों की कमी का मुख्य कारण बताया जा रहा है पुरोहितों का मानना है की बद्रीनाथ, केदारनाथ धाम में भी सरकार की कमी पूरी तरह से नजर आती है. इस बार यात्रियों की संख्या घटी है, जो कि सरकार की खराब व्यवस्था का प्रमाण है.