विकास के नाम पर विरोध,एलिवेटेड कॉरिडोर !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में यातायात दबाव को कम करने के लिए धामी सरकार ने रिस्पना और बिंदाल नदी पर चार लेन एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण करने का निर्णय लिया है। यह एलिवेटेड रोड 6100 करोड़ रुपए की लागत से बनने जा रही है. इसके लिए एलिवेटेड रोड की जद में आने वाली जगहों और मकानों पर लाल निशान लगना शुरू हो गए है. साथ ही इस क्षेत्र की तमाम रजिस्ट्रियों को भी जल्द सीज किया जाएगा. कुल लागत में से रिस्पना नदी प्रोजेक्ट की लागत 2100 करोड़ रुपए जबकि बिंदाल नदी एलिवेटेड रोड की अनुमानित लागत 4000 करोड़ रुपए रखी गई है. बिंदाल और रिस्पना नदी पर बनने जा रहे एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट को लेकर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है. इसी कड़ी में रिस्पना और बिंदाल नदी पर बनने वाले इस एलिवेटेड प्रोजेक्ट की जद में आने वाले मकानों दुकानों और तमाम संपत्तियों पर निशान लगना शुरू हो गया है. लोक निर्माण विभाग की सर्वे टीम फील्ड में मौजूद है. उनके साथ विभागीय इंजीनियर भी हैं. फिलहाल रिस्पना नदी पर राजीव नगर से लेकर मोहनी रोड पुल तक सर्वे का कार्य चला, जहां पर नदी की चौड़ाई काफी ज्यादा है इसलिए यहां पर बहुत कम मकान अभी इसकी जद में आ रहे हैं. जैसे-जैसे सर्वे का कार्य और आगे की तरफ बढ़ेगा कई घनी आबादी वाले क्षेत्र इस प्रोजेक्ट के जद में आएंगे. जिसको लेकर विरोध तेज़ हो गया है।

आपको बता दें कि, बिंदाल नदी पर बनने वाली 15 किलोमीटर एलिवेटेड रोड कारगी चौक से शुरू होकर राजपुर रोड से आगे ओल्ड मसूरी रोड साईं मंदिर के पास जाकर खत्म होगी. इसकी जद में 1494 कच्चे और पक्के मकान आएंगे, जिन्हें हटाया जाना है. इस तरह से इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए कुल 2614 मकानों को विस्थापित किया जाना है. वहीं इस प्रोजेक्ट के लिए 43.9151 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है इसमें 26 मोहल्ले शामिल हैं। शुरुआती जानकारी के अनुसार रिस्पना पुल से सहस्त्रधारा और बिंदाल पुल से मैक्स अस्पताल तक इस रोड का निर्माण किया जाएगा। हालांकि एलिवेटेड रोड निर्माण में आने वाली दिक्कतें कम नही है। देहरादून में इस कार्य को पूरा करने में लंबा समय लग सकता है। एलिवेटेड रोड के निर्माण में कई ऐसी समस्याएं हैं जो इसके निर्माण को लंबा खींच सकती हैं। नदियों के किनारे मकान व अतिक्रमण सरकार के आगे एक बड़ी समस्या है. रिस्पना व बिंदाल नदी की जद में आने वाले मकानों के निवासियो का विरोध तेज़ हो गया है और धरना-प्रदर्शन कर एलिवेटेड रोड का विरोध शुरू हो गया है। जिसको लेकर राजनीति गरमा गई गई।

आपको बता दें बिंदाल नदी पर बनने वाली 15 किलोमीटर एलिवेटेड रोड कारगी चौक से शुरू होकर राजपुर रोड से आगे ओल्ड मसूरी रोड साई मंदिर के पास जाकर खत्म होगी.  जिसकी जद में 1494 कच्चे-पक्के मकान आएंगे, जिन्हें हटाया जाना है. इस तरह से इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए कुल 2614 मकानों को विस्थापित किया जाएगा. वहीं इस प्रोजेक्ट के लिए 43.9151 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है इसमें 26 मोहल्ले शामिल हैं। वहीं विपक्षी पार्टियो का कहना है कि भाजपा सरकार देहरादून की मलिन बस्तियों पर राजनीति कर रही है. ऐन चुनाव से पहले लोगों को कोर्ट के आदेश का डर दिखा कर अध्यादेश लाकर बचाने का ढोंग रचती है. भाजपा यह षड्यंत्र पिछले दो निकाय चुनावों से कर रही है. जबकि सरकार को कांग्रेस सरकार के समय बनाए गए नियमितीकरण और मालिकाना हक देने के कानून का पालन करना चाहिए था ताकि इस समस्या का स्थायी समाधान हो गया होता। कांग्रेस का कहना है कि जब 2018 में प्रदेश की मलिन बस्तियों को उजड़ने से बचाने के लिए मलिन बस्ती विकास परिषद ने कांग्रेस के बैनर तले मुख्यमंत्री आवास कूच किया था, तब त्रिवेंद्र सरकार पहली बार मलिन बस्तियों के बारे में अध्यादेश लाई थी जिसे दोबारा 2021 में तीन वर्षों के लिए लाया गया अब इस अध्यादेश का समय भी समाप्त हो रहा है जबकि छह वर्षों में राज्य सरकार को मलिन बस्तियों के नियमितीकरण मालिकाना हक और पुनर्वास का इंतजाम कर लेना चाहिए था लेकिन भाजपा सरकार इस मुद्दे का स्थाई समाधान होने ही नहीं देना चाहती. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा सरकार के पास कोई रोड मैप नही है.सरकार को बताना होगा जिन ढाई से तीन हज़ार घरो को उजाड़ा जाएगा उनका विस्थापन कहा होगा।

कुल मिला कर एलिवेटेड कॉरिडोर के लिए फिजिबिलिटी स्टडी, समरेखण और ड्राफ्ट डीपीआर विभाग के माध्यम से तैयार करा ली गई है। आईआईटी रूड़की से हॉडड्रोलॉजिकल मॉडल स्टडी की जा चुकी है। रिस्पना और बिंदाल नदी के अंदर स्थित विद्युत लाइन, हाई टेंशन लाइन, सीवर लाइन और अन्य यूटिलिटी शिफ्टिंग के लिए विभागों का संयुक्त निरीक्षण हो चुका है तथा भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है। जिसका विरोध भी देखा जा रहा है। नदियों के किनारे मकान व अतिक्रमण सरकार के आगे एक बड़ी समस्या बन गया है. रिस्पना व बिंदाल नदी की जद में आने वाले मकानों के निवासियो का विरोध तेज़ हो गया है और धरना-प्रदर्शन कर एलिवेटेड रोड का विरोध शुरू हो गया है। जिसको लेकर राजनीति गरमा गई है। देखना होगा विकास के नाम पर क्या इन बस्तियों में रहने वालों को इनका आशियाना भी मिल पायेगा या ये विरोध ऐसे ही बरकरार रहेगा।