, गुजरात के अहमदाबाद में एयरपोर्ट के पास रिहायशी इलाके में हुए विमान हादसे से पूरे देश को हिला दिया है. वही उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में उच्च अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान गुजरात के अहमदाबाद में हुए विमान हादसे में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने मौन रखकर दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की एवं शोकाकुल परिजनों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्ति की। इसी के साथ अब देश की धार्मिक यात्राओं में भी हवा में झूलती जिंदगियों’ का खतरा सामने आ रहा है। उत्तराखंड में जारी चारधाम यात्रा के दौरान एक के बाद एक हो रहे हेलीकॉप्टर हादसों ने लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। हर साल लगभग 15 लाख श्रद्धालु केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री आते हैं, जिनमें से 1 लाख से ज्यादा लोग हेलीकॉप्टर सेवा का सहारा लेते हैं. लेकिन इस बार चारधाम यात्रा शुरू होने के पहले ही महीने में 4 बड़े हादसे हो चुके हैं। 8 मई को उत्तरकाशी के झाला में ट्रांस एविएशन का हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ, जिसमें 6 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी, फिर 13 मई को बद्रीनाथ से लौट रहे श्रद्धालुओं से भरा हेलीकॉप्टर तकनीकी खराबी के चलते ऊखीमठ में इमरजेंसी लैंडिंग करता हुआ नजर आया, 17 मई को ऋषिकेश एम्स का मेडिकल हेलीकॉप्टर केदारनाथ पहुंचने से पहले ही क्रैश हो गया, और फिर 7 जून को एक बार फिर रुद्रप्रयाग के बड़ासू में हेलीकॉप्टर सड़क पर इमरजेंसी लैंडिंग करता है, जिससे एक दुकान और गाड़ी को नुकसान पहुंचा. लेकिन कई बार चमत्कार से मानव हानि से बचा जा सका। जिसको लेकर विपक्षी पार्टियों ने तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा को लेकर सरकार पर हमला बोल दिया है।
उत्तराखंड में 8 मई से 7 जून तक हुए चार हेलिकॉप्टर हादसों की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर DGCA ने सोमवार को सख्त कदम उठाए हैं। उत्तराखंड के चार धाम यात्रा में श्रद्धालुओं को हेलिकॉप्टर की सर्विस दे रहीं 9 एविएशन कंपनियों में से एक केस्ट्रल एविएशन की सेवाओं पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। साथ ही चार धाम यात्रा के लिए अब हेलिकॉप्टर सेवा दे रहीं कंपनियां मनमर्जी से टेक ऑफ नहीं कर सकेंगी। इनकी उड़ानों में 35 फीसदी तक की कटौती की गई है। डीजीसीए ने उड़ानों में यह कटौती केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं दे रही एविएशन कंपनियों पर लगाई गई है। 25 से 35 फीसदी तक उड़ान कम करने की कैपिंग की गई है। केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर सेवाओं को सबसे कम किया गया है। वहीं विपक्ष सरकार पर लगातार सवालिया निशान करते हुए नजर आ रहा है विपक्ष का कहना है कि सरकार ने चारधाम यात्रा को भगवान भरोसे छोड़ दिया है. तैयारी कम, दिखावा ज़्यादा नज़र आ रहा है. विपक्ष ने तंज कसते हुए कहा है कि जब तक हेलीकॉप्टर न गिरे, तब तक सरकार की नज़र उठती ही नहीं है।
वही उत्तराखंड में चल रही चारधाम यात्रा के दौरान संचालित हेली सेवा के तहत हेलिकॉप्टर हादसों को लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है. हालांकि हेली सेवाओं के संचालन के लिए सख्त गाइडलाइन बनाने की बात मुख्यमंत्री कह चुके हैं। इसको लेकर कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा का कहना है कि सरकार की प्राथमिकता श्रद्धालुओं को सुविधा और सुरक्षा देना है। हम चाहते हैं कि पूरे विश्व को चारों धामों का आशीर्वाद मिले और हाल ही में जो इमरजेंसी लैंडिंग हुई भगवान का आशीर्वाद था कि छह लोग सुरक्षित रहे. वहीं मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा है की सेफ्टी ऑर्डर होना चाहिए कोई भी मशीनरी या टेक्नोलॉजी है वह कभी भी खराब हो सकती है लेकिन सेफ्टी ऑडिट सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए ताकि जो भी श्रद्धालु हेली सेवा का इस्तेमाल कर रहा है वो सुरक्षित रहे और चार धाम यात्रा पर कोई बात ना आए जिससे आगे आने वाले श्रद्धालुओं पर कोई असर पड़े।
केदारनाथ, बद्रीनाथ या अन्य धामों में चल रही हेलीकॉप्टर सेवाओं के कुछ पहलू पॉजिटिव भी हैं और कुछ निगेटिव भी. अगर हम पर्यावरण के हिसाब से देखेंगे तो यह पाएंगे कि केदारनाथ या किसी भी हिमालय क्षेत्र में हेलीकॉप्टर सेवा संचालित करते हैं तो पर्यावरण के लिहाज से ठीक नहीं कहा जा सकता. परंतु हम आर्थिक दृष्टि से अगर देखें तो यह बात सही है. साथ ही उससे लोगों को फायदा मिल रहा है. इसके अलावा हेलीकॉप्टर सर्विस के दौरान एक एजेंसी के पास लगभग 30 से 40 लोग काम करते हैं. इसके साथ ही अलग-अलग ग्राउंड स्टाफ और बहुत सी गतिविधियां आर्थिक रूप से होती हैं, जो कि एक रोजगार का साधन भी है. अब सवाल यह है कि चारधाम यात्रा के दौरान हर हादसे के बाद बस मीटिंगें और आश्वासन मिलते रहेंगे. या श्रद्धालुओं की जान-माल को लेकर सरकार कोई ठोस कदम उठा पाती है. यह देखने वाली बात होगी।