उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, केदारनाथ उपचुनाव से पहले राज्य में एक बार फिर सांप्रदायिक माहौल बिगड़ गया है। दअरसल उत्तरकाशी में हिंदू जनाक्रोश महारैली के दौरान बवाल हो गया। इस महारैली में बड़ी संख्या में लोगों की भारी भीड़ देखने को मिली. उत्तरकाशी में बनी एक मस्जिद के खिलाफ यह जनाक्रोश महारैली निकाली गई.इस दौरान धार्मिक स्थल से कुछ दूर पहले भटवाड़ी में पुलिस ने रैली को बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया। इस दौरान आक्रोशित लोगों की पुलिस से धक्कामुक्की हुई। इस बीच भीड़ में शामिल उपद्रवी तत्वों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को खदेड़ा। पथराव में 29 लोग घायल हुए। इनमें स्वामी दर्शन भारती, नौ पुलिसकर्मी और एक बच्चा भी शामिल है। इस घटना के बाद से क्षेत्र में तनाव का माहौल है। वहीं उत्तरकाशी में हुए लाठीचार्ज और पथराव के विरोध में पूरा उत्तरकाशी बाजार बंद है। केदारनाथ उपचुनाव से पहले हुए इस बवाल पर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस का आरोप है कि चुनावी लाभ लेने के लिए सरकार शांति प्रिय प्रदेश में सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ रही है। वहीं सरकार का कहना है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि उत्तराखंड की धामी सरकार दंगाईयो से निपटने के लिए कडे कानून बना चुकी है। इसके तहत सरकार ने ‘दंगारोधी” कानून को लागू कर सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से ही नुकसान की भरपाई करेगी। बावजूद इसके राज्य में दंगा थमने का नाम नहीं ले रहा है। सवाल ये है कि उत्तरकाशी हिसां का जिम्मेदार कौन है।
उत्तराखँड की शांत वादियों में एक बार फिर सांप्रदायिक तनाव बिगड़ गया है। उत्तरकाशी में बने एक मस्जिद को लेकर मचे बवाल के बाद उत्तरकाशी में तनाव बढ़ गया है। बता दें कि उत्तरकाशी में हिंदू जनाक्रोश महारैली के दौरान उपद्रवी तत्वों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। इस दौरान पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, इस घटना में 29 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इसके अलावा नौ पुलिस कर्मी भी घायल हैं. वहीं घटना के बाद से क्षेत्र में तनाव का माहौल है. आक्रोशित व्यापारियों ने आज पूरे उत्तरकाशी के बाजार को बंद रखा है। जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
आपको बता दें कि उत्तराखंड की कानून व्यवस्था पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। इस बीच उत्तरकाशी की घटना पर पूर्व मुख्यमंत्री एंव सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी सवाल उठाएं हैं। उन्होने इस घटना को पुलिस की नाकामी बताया है। वहीं इस मामले में राज्य में सियासत गरमा गई है। कांग्रेस का आरोप है कि चुनावी लाभ के लिए सरकार के इशारे पर यह बवाल हुआ है। वहीं भाजपा का कहना है कि बाहरी प्रदेशों के लोगों के द्वारा राज्य का माहौल खराब किया जा रहा है
कुल मिलाकर उत्तराखंड में एक बार फिर सांप्रदायिक तनाव बढ़ता जा रहा है। एक ओर जहां सरकार प्रदेश में निवेश को बढ़ाने के साथ ही धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने पर कार्य कर रही है तो वहीं दूसरी ओर उत्तरकाशी हिंसा के बाद उत्तरकाशी जनपद में स्थित गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा पर भी इसका बुरा प्रभाव पड रहा है। सवाल ये है कि आखिर ये पत्थरबाज कौन है। आखिर कौन उत्तराखंड की शांत वादियों में जहर धोल रहा है, आखिर क्यों पुलिस प्रशासन इन घटनाओं को रोकने में नाकाम हो रहा है।