पंचायत चुनाव जारी,हरीश की चुपी भारी! 

उत्तराखंड में पंचायत चुनाव के मद्देनजर राज्य निर्वाचन आयोग को उत्तराखंड उच्च न्यायालय से फिलहाल राहत मिल गयी है। न्यायालय ने सोमवार को साफ कर दिया कि उसने पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर कोई रोक जारी नहीं की है। चुनाव आयोग चुनावी प्रक्रिया को जारी रख सकता है। हाईकोर्ट के स्पष्टीकरण के बाद आयोग ने चुनाव चिन्हों का आवंटन का काम शुरू कर दिया था। राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से उच्च न्यायालय के 11 जुलाई के आदेश के खिलाफ एक स्टे वेकेशन एप्लीकेशन दायर की गयी थी। आयोग की ओर से कल सुबह इस मामले को मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष उठाया गया और कहा गया कि न्यायालय के फैसले से चुनाव प्रक्रिया में पशोपेश की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। स्थगनादेश को खारिज किया जाये. पीठ ने कहा कि उसने चुनाव प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं लगायी है। पीठ के स्पष्टीकरण के बाद चुनाव आयोग की ओर से चुनाव चिन्हों का आवंटन दोपहर दो बजे से शुरू कर दिया गया है। चुनाव आयोग की ओर से जारी संशोधित अधिसूचना में कहा गया है कि आयोग से मिले निर्देश के बाद दो बजे से चुनाव चिन्ह आवंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी। चुनाव चिन्हों के आवंटन का कार्य कल शाम छह बजे तक किया गया. चुनाव चिन्हों का आवंटन आज मंगलवार को भी जारी रहेगा। वही मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का कहना है कि उन्होंने एक पत्र और लिखा है. जिसमे निर्वाचन आयोग से कहा गया जिनके दो जगह वोटर लिस्ट में नाम है उन प्रत्याशियों को सिम्बल आवंटित नही किया जाए. क्योंकि यह हाईकोर्ट के निर्णय की अवमानना होगी।

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में दो मतदाता सूचियों में नाम वाले मतदाताओं को मतदान का अधिकार देने व चुनाव लड़ने से सम्बन्धी विवाद में स्पष्ट आदेश देने वाले चुनाव आयोग के प्रार्थना पत्र पर कोई आदेश नहीं दिया। कोर्ट ने कहा कि हमने चुनाव पर रोक नहीं लगाई है, केवल चुनाव आयोग द्वारा 6 जुलाई को जारी सर्कुलर पर रोक लगाई है। आपको बता दे कि उत्तराखंड निर्वाचन आयोग ने रविवार को हाईकोर्ट के समक्ष प्रार्थना पत्र देकर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के सम्बंध में हाईकोर्ट द्वारा 11 जुलाई को जारी आदेश से चुनाव प्रक्रिया रुकने का उल्लेख करते हुए उक्त आदेश को मॉडिफाई करने की मांग की गई थी। आयोग को ओर से कहा गया है कि कोर्ट के आदेश से चुनाव प्रक्रिया रुक गई है जबकि आयोग अब तक की प्रक्रिया में काफी संसाधन व्यय कर चुका है। पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान 11 जुलाई को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने चुनाव आयोग के 6 जुलाई को जिला निर्वाचन अधिकारियों को जारी सर्कुलर पर रोक लगा दी थी। जिसमे चुनाव आयोग ने 6 जुलाई को सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को एक सर्कुलर जारी कर कहा था कि यदि किसी व्यक्ति का नाम ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में है, तो उसे मतदान करने और चुनाव लड़ने से नहीं रोका जाए। परंतु, उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम की धारा 9(6) और 9(7) के अनुसार यदि किसी मतदाता का नाम एक से अधिक सूची (शहरी व ग्रामीण) में है, तो वह चुनाव लड़ने या मतदान के योग्य नहीं होगा।

 

वही मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस मुद्दे पर मौन व्रत रखा. हरीश रावत ने कहा कि मेरा यह मौन व्रत जो श्रावण के पहले सोमवार को उन लोगों को समर्पित है जो लोग आज पंचायती राज चुनाव की धांधली के शिकार हो रहे हैं। हमारे राज्य के अंदर पंचायतों के चुनाव हो रहे हैं। सत्ता मनमाने तरीके से पंचायती राज एक्ट की अवेलना कर रही है, जो संस्था चुनाव करवाने के लिए विधानसभा द्वारा अधिनियमित है वह संस्था, सत्ता के चंगुल में फंस गई है, वह उसके तोते की तरीके से काम कर रही है। उम्मीदवार गण परेशान हैं। उम्मीदवार पिलर टू पोस्ट दौड़ रहे हैं, कोई हाईकोर्ट में है, कोई कहीं, हर कोई अलग-अलग तरीके से अपनी गुहार लगा रहे हैं। ये राज्य के अंदर ग्रामीण स्तर तक यदि इस तरीके से लोकतंत्र की हत्या होगी तो यह राज्य के लिए बहुत घातक है। इसलिए मैंने यह मौन उपवास रखा है और यह आपको समर्पित है, भगवान शिव को समर्पित है। माँ न्याय करें। वही कांग्रेस ने उच्च न्यायालय के मौखिक आदेश आने के तत्काल बाद राज्य निर्वाचन आयोग को फिर एक पत्र लिख कर राज्य के तमाम ग्राम पंचायतों, छेत्र पंचायतों व जिला पंचायत के ऐसे प्रत्याशियों जिनके नाम दो जगह मतदाता के रूप में दर्ज हैं उनका चुनाव चिन्ह आवंटित न करने के लिए मांग की है। वही इस पर बीजेपी विधायक विनोद चमोली ने कहा कि जिस तरह कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है उससे साफ है कि चुनाव बाधित नहीं होंगे। अगर कोई किसी प्रक्रिया से असंतुष्ट है तो वो कोर्ट जा सकता है। लेकिन चुनाव अब होकर रहेंगे।

 

बता दें कि, पंचायत चुनाव लड़ रहे कुछ प्रत्याशियों के नाम दो जगह यानी नगर निकाय व त्रिस्तरीय पंचायत की मतदाता सूची में हैं. इस मामले में रिटर्निंग अधिकारियों ने अलग-अलग निर्णय किए हैं. दो जगह नाम होने पर कुछ लोगों के नामांकन रद्द हो गए हैं, तो कुछ लोगों के नामांकन को स्वीकृति मिल गई है. याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में कहा था कि देश में किसी भी राज्य में मतदाता सूची में दो अलग-अलग मतदाता सूची में नाम होना आपराधिक श्रेणी में आता है. ऐसे में उत्तराखंड राज्य में निर्वाचन आयोग द्वारा किस आधार पर ऐसे लोगों के निर्वाचन को स्वीकृति प्रदान की जा रही है.हालांकि हाई कोर्ट ने ये साफ कर दिया है की अभी इसको लेकर अगर किसी को आपत्ति है तो वो चुनाव के बाद भी इस पर चर्चा कर सकते है लेकिन फिलहाल चुनाव प्रभावित न हो इस पर कोई भी अभी निर्णय लेना अभी संभव नहीं।

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट