रिपोर्ट – विनीत गुप्ता
लखीमपुर खीरी, लखीमपुर खीरी के दुधवा नेशनल पार्क में दीपावली आते ही वन्यजीव उल्लू पर खतरा मंडराने लगा है. पार्क प्रशासन इसको लेकर अलर्ट हो गया है.
आपको बता दें कि लखीमपुर खीरी के दुधवा नेशनल पार्क में वन्य जीवों पर शिकारियों का खतरा हमेशा बना रहता है लेकिन दीपावली के नजदीक आते ही दुधवा में उल्लूओं पर आफत बढ़ जाती है। दिपावली के त्यौहार पर उल्लू का शिकार कर तश्करी तो लाजमी है।अंध विश्वास के चलते तांत्रिक को उल्लू की बलि देने से धन की प्राप्ति होती है।
दुधवा नेशनल पार्क के जंगलों में उल्लू को तस्करों से जान का खतरा है। जिसको लेकर पार्क प्रशासन ने पूरे दुधवा नेशनल पार्क में अलर्ट घोषित कर दिया है। जैसे ही दीपावली करीब आती है, वैसे ही लखीमपुर खीरी के इंडो-नेपाल बॉडर पर 886 वर्ग किलोमीटर में फैले दुधवा नेशनल पार्क के जंगलों में गश्त को बढ़ा दिया जाता है. कारण है यहाँ उल्लू की 12 प्रजातियां पायी जाती हैं। उल्लू तस्कर जंगल में अधिक सक्रिय हो जाते हैं और अंधविश्वास के चलते इनकी जान पर खतरा बढ़ जाता है। लोगों में मान्यता है कि लक्ष्मी जी की सवारी उल्लू के बलि देने से लक्ष्मीजी की कृपा होती है और घरों में लक्ष्मी वास करती है। यानी धन की वर्षा होती है। इसके अलावा तंत्र मंत्र में भी उल्लू का वध किया जाता है। इसी वजह से बड़े शहरों की बाजार में उल्लू की कीमत पाँच हजार से पचास हजार तक हो जाती है और अंधविश्वास के धंधे में तस्कर इन्हें बाजारों में पहुंचाने का काम करते हैं। फिलहाल इसी खतरे को लेकर दुधवा में अलर्ट घोषित कर दिया गया है और दुधवा टाईगर रिजर्व में शिकारियों पर पार्क प्रशासन की पैनी नजर है।