KNEWS DESK – देवभूमि उत्तराखंड में सख्त भू-कानून लागू करने की मांग तेज हो गई है। इसी कड़ी में मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति ने सशक्त भू कानून समेत अन्य मांगों को लेकर शहीद स्थल में भूख हड़ताल पर बैठने का ऐलान किया था। लेकिन पुलिस प्रशासन ने इन्हें शहीद स्थल पर भूख हड़ताल करने से रोक दिया, जिससे नाराज आंदोलनकारियों ने शहीद स्थल गेट के बाहर ही भूख हड़ताल शुरू कर दी। हालांकि देर शाम पुलिस ने जबरन प्रदर्शनकारियों को वहां से उठा लिया, जिससे हंगामा हो गया। वहीं विपक्ष का आरोप है कि सरकार जनता की आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है। वहीं सत्तापक्ष का आरोप है कि कुछ विपक्षी दल अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए इस तरह के आंदोलनों को बढ़ावा दे रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ कह चुका है कि अगले बजट सत्र में सख्त भू कानून का बिल राज्य सरकार लाने जा रही है। इस ऐलान के साथ ही उत्तराखंड में भू-माफिया डर की वजह से जमीनें भी बेचने लग गए हैं। हालांकि राज्य सरकार ने जनता से ऐसी जमीनों को ना खरीदने की अपील की है। वहीं कांग्रेस का आरोप है कि राज्य के भू कानून को कमजोर करने का कार्य भाजपा ने किया है। कांग्रेस का आरोप है कि त्रिवेंद्र और धामी सरकार के राज में राज्य के भू कानून को कमजोर किया गया। बता दें कि तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में भू कानून में संशोधन करते हुए जमीन खरीद की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया था। इसके पीछे पहाड़ों में उद्योगों को स्थापित करना बताया गया था। हालांकि अब हरिद्वार से खबर आई है कि उद्योग लगाने के लिए ली गई जमीन को प्लॉटिंग कर लोगों को बेच दिया गया है। सवाल ये है कि आखिर क्यों तत्काल सरकार सख्त भू कानून को लागू नहीं कर रही है?
उत्तराखंड में हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर राज्य में सख्त भू कानून लागू करने की मांग तेज होती जा रही है। इसी कड़ी में भू-कानून, मूल निवास संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने भूख हड़ताल पर बैठने का अल्टीमेटम दिया था। हालांकि पुलिस ने कचहरी स्थित शहीद स्थल की घेराबंदी कर दी और गेट पर ताला जड़ दिया। मोहित डिमरी और समिति के पदाधिकारी और विभिन्न संगठनों से जुड़े लोग शहीद स्थल पहुंचे तो उन्हें गेट पर ही रोक दिया गया। इस पर आंदोलनकारियों ने नारेबाजी शुरू कर दी। इस बीच गेट के बाहर मोहित डिमरी भूख हड़ताल पर बैठ गए। पूरे दिन शहीद स्थल के बाहर हंगामा चलता रहा। कई बार पुलिस के साथ नोक-झोंक की स्थिति भी बनी। हालांकि बाद में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर उनकी भूख हड़ताल को समाप्त कर दिया, जिसके बाद विपक्ष सत्तापक्ष पर हमलावर हो गया।
आपको बता दें कि धामी सरकार सख्त भू-कानून के ड्राफ्ट पर कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री धामी ने इसके लिए गैरसैंण में अधिकारियों की बैठक भी बुलाई थी। वहीं मुख्यमंत्री अगले बजट सत्र में सख्त भू कानून के ड्राफ्ट को लाने का दावा भी कर रहे हैं। हालांकि कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकार ने ही राज्य के सख्त भू कानून को कमजोर किया है। कांग्रेस का आरोप है कि त्रिवेंद्र और धामी सरकार के राज में राज्य के भू कानून को कमजोर किया गया। बता दें कि तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में भू कानून में संशोधन करते हुए जमीन खरीद की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया था। इसके पीछे पहाड़ों में उद्योगों को स्थापित करना बताया गया था। हालांकि अब इसके दुष्प्रभाव भी दिखने लगे हैं। इसी के तहत हरिद्वार में उद्योग लगाने के लिए ली गई जमीन को प्लॉटिंग कर लोगों को बेच दिया गया है।
कुल मिलाकर राज्य में पहाड़ की जमीन को बचाने के लिए सख्त भू कानून लागू करने की मांग की जा रही है। इसके लिए लगातार आंदोलन भी किए जा रहे हैं। इस बीच मुख्यमंत्री धामी ने सख्त भू कानून के ड्राफ्ट पर कार्य करने के साथ ही भू कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी शुरू कर दी है। देखना होगा क्या राज्य में सख्त भू कानून लागू होगा, क्या पारदर्शिता के साथ भू कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सरकार कार्रवाई करेगी या नहीं।