उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट , उत्तराखंड में 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी धामी सरकार की मुश्किलें निकाय चुनाव ने बढ़ा दी है। दअरसल निकायों का कार्यकाल दो दिसंबर को समाप्त हो रहा है……नियम के तहत निकायों के कार्यकाल समाप्त होने से छह महीने पहले निकाय चुनाव का कार्यक्रम घोषित किया जाता है, ताकि नए बोर्ड का गठन तय समय के भीतर हो सके। राज्य में अक्टूबर का महीना खत्म होने को है लेकिन अबतक सरकार ने निकाय चुनाव के लिए कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की है। जिससे माना जा रहा है कि सरकार लोकसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव कराने के मुड में नहीं है…..हांलाकि बीजेपी का कहना है कि सरकार निकाय चुनाव कराने के पक्ष में है लेकिन विपक्षी दलों ने सरकार पर दबाव बनाते हुए जल्द निकाय चुनाव कराने की मांग की है……विपक्ष का तर्क है कि बीजेपी हार के डर से निकाय चुनाव नहीं करा रही है….इसके साथ ही विपक्षी दलों ने ये भी दावा किया है कि लोकसभा चुनाव में जनता भाजपा को सबक सिखाने जा रही है। क्योंकि जनता बेरोजगारी, महंगाई, बदहाल कानून व्यस्था समेत तमाम मुद्दों से परेशान है। ऐसे में भाजपा को हार का डर सता रहा है……वहीं भाजपा ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों को तेज कर दिया है। देहरादून के आरएसएस कार्यालय में आज आरएसएस की महत्वपूर्ण बैठक हुई….बैठक में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट समेत तमाम दिग्गज नेता पहुंचे….बैठक में 2024 के लोकसभा चुनाव को जीतने पर मंथन किया गया….वहीं विपक्ष ने आरएसएस की इस बैठक पर कटाक्ष किया है। सवाल ये है कि क्या सरकार लोकसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव का जोखिम नहीं लेना चाहती है
उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव से पहले धामी सरकार की टेंशन निकाय चुनाव ने बढ़ा रखी है। कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस, आप समेत तमाम विपक्षी दलों ने सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है….विपक्ष जल्द से जल्द निकाय चुनाव कराने की मांग कर रहा है…..इतना ही नहीं कांग्रेस, आप समेत तमाम दलों ने जीत के दावे भी शुरू कर दिए हैं। आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता रवींद्र आनंद का कहना है कि 2 दिसंबर को निकायों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है लेकिन सरकार ने अभी तक परिसीमन नहीं कराया है और ना ही जाति के आधार पर वोटरों का सर्वे… साथ ही नए वोटर आईडी कार्ड बनवाने की भी कोई प्रकिया अभी तक शुरू नहीं की गई है। इससे साफ है कि सरकार ने चुनाव से पहले ही हार स्वीकर कर ली है। वहीं कांग्रेस का कहना है कि जनता में आक्रोश है….और सरकार को हार का एहसास है…इसको देखते हुए सरकार ने जनता में संशय की स्थिति पैदा कर दी है। और सरकार की पूरी कोशिश है कि निकाय चुनाव टल जाएं….वहीं भाजपा ने विपक्ष के तमाम आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि सरकार निकाय चुनाव कराने के पक्ष में है और इसकी तैयारियां चल रही है
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने एक आदेश में केंद्र सरकार को निर्देश देते हुए कहा था कि स्थानीय निकायों का पांच वर्षीय कार्यकाल समाप्त होने से छह महीने पहले निकाय चुनाव का कार्यक्रम घोषित किया जाए, ताकि नए बोर्ड का गठन तय समय के भीतर हो सके। वहीं नैनीताल हाईकोर्ट ने भी सरकार से निकाय चुनाव के लिए अबतक कार्यक्रम घोषित नहीं करने पर सवाल पूछा है। जिसके बाद तमाम विपक्ष दलों ने भी सरकार पर निकाय चुनाव के लिए दबाव बढ़ा दिया है….माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के चलते सरकार निकाय चुनाव कराने के पक्ष में नहीं है….वहीं लोकसभा चुनाव की बात करें तो भाजपा ने सभी दलों को तैयारियों के लिहाज से पीछे छोड़ रखा है इनसबके बीच देहरादून के आरएसएस कार्यालय में आरएसएस की भी महत्वपूर्ण बैठक हुई है….बैठक में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट समेत तमाम दिग्गज नेता पहुंचे….बैठक में 2024 के लोकसभा चुनाव को जीतने पर मंथन किया गया….वहीं विपक्ष ने आरएसएस की इस बैठक पर कटाक्ष किया है।
कुल मिलाकर 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी धामी सरकार की मुश्किलें निकाय चुनाव ने बढ़ा दी है। दिसंबर महीने में समाप्त हो रहे निकायों के कार्यकाल में अब एक माह का ही समय बचा है लेकिन अबतक परिसीमन का ना होना, ना ही जाति के आधार पर वोटरों का सर्वे होना… साथ ही नए वोटर आईडी कार्ड बनवाने की भी कोई प्रकिया अभी तक शुरू ना करने से साफ है कि इतना सब एक महीने में संभव नहीं है ऐसे में क्या माना जाए कि सरकार लोकसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव नहीं कराना चाहती…..क्या सरकार लोकसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव का जोखिम नहीं लेना चाहती है