रिपोर्ट – अनिरुद्ध पाण्डेय
कौशांबी – कारगिल युद्ध में शहीद हुए उत्तर प्रदेश के कौशांबी के रहने वाले सूरज प्रसाद मिश्र का शहीद स्मारक आज भी बदहाल स्थिति में है। कारगिल दिवस पर अधिकारी शहीद स्मारक स्थल पर जाते है, फूल-माला भी करते है लेकिन बदहाल पड़े स्मारक स्थल को बनवाने का काम नहीं करते है। गांव की कई गालियां भी बदहाल स्थिति में हैं। एक तरफ अधिकारियों की उदासीनता है, तो दूसरी तरफ पिता के शहीद होने के बाद भी परिवार के सदस्यों का जज़्बा कम नहीं हुआ। शहीद होने के बाद अब उनका बेटा भी सेना में नौकरी कर रहा है।
आपको बता दें कि सिराथू तहसील के तेरहरा गांव के रहने वाले सूरज प्रसाद मिश्र कारगिल युद्ध मे शहीद हो गए थे, कारगिल दिवस पर उनकी यादें एक बार फिर से ताजा हो गई हैं। जम्मू से राजौरी जाते समय बम ब्लास्ट में सूरज शहीद हो गए थे। शहीद की पत्नी जावित्री देवी को तमाम दु:ख झेलने पड़े। फिर भी उन्हें अपने एकलौते बेटे को देश सेवा के लिए तैयार किया। जब उनके पति शहीद हुए थे तो बेटा रवि महज चार साल का था। बड़ा होने पर बेटे ने भी फौज में जाने की इच्छा जाहिर की। अप्रैल 2016 में शहीद का बेटा भी फौज में भर्ती हो गया और देश सेवा कर रहा है। इन दिनों रवि प्रयागराज में तैनात हैं।
शहीद का बेटा आज देश की सुरक्षा के लिए सीमा पर तैनात
शहीद की पत्नी जावित्री देवी ने इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की है। शिक्षा के आधार पर जिला प्रशासन ने नवंबर 2001 में गांव के विद्यालय में उन्हें शिक्षामित्र की नौकरी दी। वह गांव के स्कूल में बच्चों को शिक्षा दे रही हैं। बेटे को बीएससी की शिक्षा दिलाई। मां की प्रेरणा पर शहीद का बेटा आज देश की सुरक्षा के लिए सीमा पर तैनात है।
उनका स्मारक स्थल आज भी बदहाल
शहीदों के गांव में सरकार भले ही हर सुख सुविधा देने का दावा करती हो लेकिन कारगिल शहीद सूरज प्रसाद मिश्र के गांव की तस्वीर समय के साथ नहीं बदली। अधिकारियों की उदासीनता का शिकार इस गांव की हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिस शहीद को श्रद्धांजलि देने के गांव के बड़े-बड़े अफसर पहुंचे थे। उनका स्मारक स्थल आज भी बदहाल है। उनकी शहादत पर सरकार ने उनके परिवार के साथ ही गांव की तस्वीर बदलने का दावा किया था, जो अब भूल चुकी है।
पूरे गांव की हालत सुधारने का किया था दावा
गांव के विद्यालय में शिक्षामित्र के पद पर तैनात जावित्री गांव के हर बच्चे को फौज में शामिल होने का जज्बा भर रही हैं। उनकी जेठानी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। गांव की स्थिति और सरकार के वादे को सोचकर उनकी आंखों में पानी आ जाता है। जावित्री देवी ने बताया कि उनके पति के शहीद होने पर पूरे जिले के अधिकारी गांव आए थे। पूरे गांव की हालत सुधारने का दावा किया था लेकिन आज भी शहीद स्थल बेजान सा पड़ा है। यह कहते कहते उनकी आंखों में आंसू भर आता हैं।