महाकुंभ की भव्यता और श्रद्धालुओं की भीड़ की चर्चा न केवल देशभर में, बल्कि विदेशों में भी हो रही है। देश के विभिन्न हिस्सों से साधु-संत और भक्तगण प्रयागराज पहुंच रहे हैं। इससे पहले 17 जनवरी को जारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक महाकुंभ में 7 करोड़ 30 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया था।
महाकुंभ में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना
महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी को शुरू हुआ था और यह 26 फरवरी तक चलेगा। पहले ही दिन, महाकुंभ में डुबकी लगाने वालों का आंकड़ा एक करोड़ के पार चला गया था। मकर संक्रांति के अमृत स्नान के अवसर पर तो यह संख्या और भी बढ़ गई, जब एक दिन में साढ़े तीन करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया। मौनी अमावस्या के दिन दस करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद जताई गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मौनी अमावस्या के स्नान के लिए प्रशासन को पहले से ही युद्धस्तर पर तैयारियां करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही, उन्होंने कहा है कि अगर कहीं भी कोई कमी हो तो उसे तत्काल पूरा किया जाए ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े।
वृहद स्तर पर की गई तैयारियां
उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ को ऐतिहासिक बनाने के लिए इस बार वृहद स्तर पर तैयारियां की हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ खुद इन तैयारियों पर नजर बनाए हुए हैं। महाकुंभ 12 साल में एक बार आयोजित होता है, और इस अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं का संगम पर पहुंचना एक अद्वितीय दृश्य प्रस्तुत करता है।
महाकुंभ के दौरान तीन प्रमुख अमृत स्नान होते हैं। पहला अमृत स्नान मकर संक्रांति पर संपन्न हो चुका है, जबकि दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या पर होगा। इसके बाद तीसरा अमृत स्नान बसंत पंचमी को होगा। इन तीनों तिथियों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचेंगे।
45 करोड़ श्रद्धालुओं का आंकड़ा
महाकुंभ के दौरान अनुमान है कि 45 करोड़ श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे। इस ऐतिहासिक आयोजन में यूपी सरकार ने हर पहलू को सुलझाने के लिए व्यापक कदम उठाए हैं, ताकि हर श्रद्धालु को सुरक्षित और सुविधाजनक वातावरण मिल सके।
इस महाकुंभ के आयोजन को लेकर हर दिन नए आंकड़े सामने आ रहे हैं, और श्रद्धालुओं की भीड़ से यह स्पष्ट है कि महाकुंभ का महत्व आज भी उतना ही अधिक है। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी एक अद्वितीय अवसर है, जब लोग अपनी आस्था और विश्वास को संगम की पवित्र धाराओं में समर्पित करते हैं।
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