बलरामपुर डीएम की कार्यशैली पर लखनऊ हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी, दो सप्ताह में मांगा जवाब

रिपोर्ट – नीरज शुक्ला 

उत्तर प्रदेश – जिले के कई पुलिस कर्मियों व थानाध्यक्षों के विरुद्ध डीएम अरविंद सिंह द्वारा की गए अवैधानिक दंडात्मक कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। जिले के चार अलग-अलग पुलिस अधिकारियों ने डीएम द्वारा की गई कार्रवाई को विधि विरुद्ध बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। तत्कालीन थाना अध्यक्ष गैंड़ास बुजुर्ग रहे निलंबित उपनिरीक्षक पवन कुमार कनौजिया की याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की खंडपीठ ने डीएम के आदेश पर स्टे देते हुए आदेश दिया कि याची का वेतन नियमानुसार भुगतान किया जाए।

क्या हैं पूरा मामला

गैंड़ास बुजुर्ग में एक जमीन पर हुए अवैध कब्जे का आरोप लगाते हुए एक व्यक्ति ने आत्मदाह किया था, जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई थी। इस मामले में एसपी केशव कुमार ने तत्कालीन थानाध्यक्ष पवन कुमार कनौजिया को निलंबित कर दिया था। बाद में जिलाधिकारी ने थानाध्यक्ष के विरुद्ध प्रतिकूल प्रविष्टि करने व विशेष जांच के लिए टीम गठित करने का निर्देश दिया था, डीएम के इस आदेश को तत्कालीन थानाध्यक्ष पवन कुमार कनौजिया ने चुनौती देते हुए न्यायालय में दलील दी गई कि पुलिस दंड एवं अपील नियमावली 1991 में केवल पुलिस पुलिस अधीक्षक को ही दंड देने का अधिकार है। जिला मजिस्ट्रेट ने अपने अधिकारों से परे जाकर पुलिसकर्मियों के विरुद्ध जो दंडात्मक कार्रवाई की वह विधिसम्मत नहीं है।

याचिका कर्ता के अधिवक्ताओं ने थाने न्यायालय में दी दलील

याचिकाकर्ता तत्कालीन थानाध्यक्ष पवन कुमार कनौजिया की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता उपेंद्र मिश्र, अधिवक्ता संजय सिंह सोमवंशी व अधिवक्ता संजय कुमार ने न्यायलय में बहस की | वहीं न्यायालय ने इससे प्रथम दृष्टया असहमति जताते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने नमन सिंह मामले में स्पष्ट किया है कि दंड प्रक्रिया संहिता में कार्यकारी मजिस्ट्रेट को ऐसी कोई शक्ति नहीं दी गई है जिसके तहत वह प्राइवेट शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश पुलिस को दे सके| न्यायालय ने कहा कि मामले में विचार की आवश्यकता है, वहीं न्यायालय ने यह भी कहा कि जिला मजिस्ट्रेट को किसी के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत किए जाने का आदेश देकर पुलिस और न्यायिक मजिस्ट्रेट को अधिकारिता में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नही है और इसके साथ ही नियमावली 1991 के तहत वह पुलिस अधिकारियों को दंड नहीं दे सकते और न ही उनकी चरित्र पंजिका में टिप्पणी अंकित कर सकते हैं। वहीं न्यायालय ने डीएम बलरामपुर को दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया है।

याचिका कर्ता के अधिवक्ता संजय आर्य ने के न्यूज़ को दिया जानकारी

वही जब याचिका कर्ता के अधिवक्ता से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस समय लोकसभा का चुनाव चल रहा है जिसमें बलरामपुर जिला अधिकारी जिला निर्वाचन अधिकारी के तौर पर नामित है लेकिन उन्होंने चुनाव आयोग से बिना परमिशन लिए ही हाई कोर्ट पहुंचे जिससे साफ-साफ आदर्श अचार संहिता का उल्लंघन माना जा रहा है,अधिवक्ता ने कहा कि इसको लेकर भी हम चुनाव आयोग से शिकायत करेंगे, वही अधिवक्ता ने कहा कि हमें न्यायालय पर पूरा भरोसा है और हमारे याचिका करता को इंसाफ मिलेगा और कोई भी अधिकारी अब मनमाने तरीके से अवैधानिक दंडात्मक कार्यवाही नहीं करने से पहले सोचेगा।

डीएम बलरामपुर का विवादों से रहा हैं गहरा नाता

इससे पूर्व भी अनेक गैर जिम्मेदाराना आदेशों के चलते न केवल डीएम की किरकिरी हुई है बल्कि लोगों का विश्वास भी नौकरशाही पर कम होने लगा है। दो महीने पहले ही सुभाषनगर मुहल्ले में न्यायालय के आदेश पर विवादित मकान पर कब्जा करा चुकी पुलिस के खिलाफ भी जांच टीम बैठाकर पुलिस के खिलाफ एक तरफा रिपोर्ट तैयार कराकर शासन को भेजी गई थी। सादुल्लाहनगर थाने की जमीन पर हुए अवैध कब्जे के मामले में आरोपी पूर्व विधायक उनके भाई व अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के मामले में पुलिसकर्मियों की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हुए विशेष जांच टीम गठित की थी। वही तत्कालीन एसडीएम उतरौला रहे संतोष ओझा के विरुद्ध भी जनपद फिरोजाबाद में तैनाती के दौरान जनता के व्यक्ति के साथ उसे बंद कर मारपीट करने का मुकदमा दर्ज हुआ था।

एक खबर के अनुसार कानपुर विकास प्राधिकरण के वीसी पद पर रहते हुए विवादों में घिरे थे डीएम अरविंद सिंह

डीएम बलरामपुर अरविंद सिंह का विवादों से पुराना नाता रहा है। वर्ष 2023 में वीसी कानपुर प्राधिकरण के पद नियुक्ति के दौरान निर्मित फ्लैट के आवंटन आदि में अनियमितता को लेकर एनबीडब्ल्यू जारी हुआ था, जिसके पश्चात उस समय भी हाईकोर्ट ने 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। इसके अलावा प्राधिकरण के ही पूर्व सदस्य व अनुसूचित मोर्चा के प्रदेश महामंत्री (भाजपा) राम लखन रावत ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भ्रष्टाचार का शिकायत किया था जिस पर लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार के संबंध में जांच भी संस्थित की थी।

जानकारी लेने के लिए फोन गया किया

वहीं जब इस संबंध में डीएम बलरामपुर से जानकारी लेने के लिए फोन किया गया तो उनके स्टाफ के द्वारा फोन उठाया गया और बताया गया कि अभी डीएम साहब व्यस्त है| जिससे इस संबंध में दम से कोई जानकारी नहीं मिल सकी |

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