उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान की प्रक्रिया संपन्न होने के बाद राज्य में अब निकाय चुनाव और राज्य की दो विधानसभा जिसमें बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा में उपचुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। वहीं इस चुनाव से पहले राज्य में निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। ये सवाल भाजपा-कांग्रेस समेत तमाम दल उठा रहे हैं। दअरसल निकाय चुनाव को लेकर जारी मतदाता सूची से कई नेताओं के नाम ही गायब कर दिए गए। सूची में गड़बड़ी का आलम यह है कि कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी और उनके परिवार के सदस्यों के नाम भी वोटर लिस्ट में नहीं है। साथ ही कई नेता ऐसे भी हैं जो मेयर या पार्षद पद के लिए टिकट की दावेदारी कर रहे हैं, लेकिन उनके नाम सूची से गायब हैं। कुछ पुरुष नेताओं को सूची में महिला दर्शाया गया है। ऐसे में नेताओं में भी बेचैनी है कि अगर वह इस सूची के आधार पर चुनाव लड़ते हैं तो ऐसे में वह चुनाव लड़ ही नहीं पाएंगे या फिर नामांकन रद्द हो सकता है। इसके साथ ही कई स्थानों से मतदाताओँ के नाम गायब होने की भी शिकायत आई है। इसके तहत राजीव नगर और मयूर विहार कॉलोनी के 1500 नाम वोटर लिस्ट से गायब हैं..वहीं कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में पार्टी का प्रतिनिधिमंडल डीएम से मिलने पहुंचा। प्रीतम सिंह ने आरोप लगाया कि जानबूझकर मतदाता सूची से छेड़छाड़ की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि उन मतदाताओं और क्षेत्रों के नाम मतदाता सूची से गायब हैं जो कांग्रेस समर्थक हैं या जहां कांग्रेस की मजबूत पकड़ है। उन्होंने दावा किया कि इस तरह की गड़बड़ी लोकसभा चुनाव में भी थी, जिस वजह से लोग मतदान करने से वंचित रह गए। वहीं डीएम ने उन्हें सभी प्रकरणों की जांच कर मतदाता सूची में नाम जोड़ने का आश्वासन दिया। वहीं भाजपा ने भी मतदाता सूचियों की गड़बड़ी के खिलाफ चुनाव आयोग और शहरी विकास मंत्री से निकाय चुनाव की मतदाता सूचियों में गड़बड़ी ठीक करने की मांग की है। सवाल ये है कि आखिर इतनी बड़ी लापरवाही निर्वाचन आयोग क्यों कर रहा है। क्या जानबूझकर विपक्ष को कमजोर करने की साजिश की जा रही है।
देवभूमि उत्तराखंड में निकाय चुनाव को लेकर जारी मतदाता सूची पर सियासी बवाल छिड़ गया है। दअरसल निकाय चुनाव को लेकर जारी मतदाता सूची से कई नेताओं के नाम गायब हैं तो वहीं कई हजार मतदाताओँ के नाम भी सूची में नहीं है। जिसके बाद भाजपा-कांग्रेस समेत तमाम दलों ने निर्वाचन आयोग से मतदाता सूची में सुधार की मांग की है। वहीं मतदाता सूची में गड़बड़ी का आलम यह है कि कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी और उनके परिवार के सदस्यों के नाम भी वोटर लिस्ट में नहीं है। साथ ही कई नेता ऐसे भी हैं जो मेयर या पार्षद पद के लिए टिकट की दावेदारी कर रहे हैं, लेकिन उनके नाम सूची से गायब हैं। कुछ पुरुष नेताओं को सूची में महिला दर्शाया गया है। इसके अलावा कई मतदाताओँ के नाम वोटर लिस्ट से ही गायब हैं..वहीं कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में पार्टी का प्रतिनिधिमंडल डीएम से मिलने पहुंचा। प्रीतम सिंह ने आरोप लगाया कि जानबूझकर मतदाता सूची से छेड़छाड़ की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि उन मतदाताओं और क्षेत्रों के नाम मतदाता सूची से गायब हैं जो कांग्रेस समर्थक हैं या जहां कांग्रेस की मजबूत पकड़ है। वहीं जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि बीएलओं के माध्यम से घर-घर सर्वे कराते हुए वोटर लिस्ट की कमियां दूर किया जाएगा।
आपको बता दें कि राज्य में जल्द ही निकाय चुनाव और राज्य की दो विधानसभाओं में उपचुनाव होने है. इसके लिए सभी राजनीतिक दलों ने तैयारी तेज कर दी है। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने मंगलौर व बदरीनाथ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए प्रभारी भी नियुक्त कर दिए हैं। इसके अलावा निकाय चुनाव को लेकर पार्टी की ओर से मंथन किया जा रहा है। आपको बता दें कि राज्य सरकार कोर्ट में हलफनामा दे चुकी है कि वह तय समय पर निकाय चुनाव कराने के लिए तैयार है। अभी निकायों की कमान प्रशासकों के हाथों में हैं। उनका कार्यकाल दो जून को समाप्त हो रहा है। वहीं भाजपा कांग्रेस उपचुनाव और निकाय चुनाव को जीतने का दावा कर रही है।
कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव के बाद राज्य में अब निकाय चुनाव और उपचुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। हांलाकि मतदान से पहले राज्य में निकाय चुनाव को लेकर जारी मतदाता सूची पर सियासी बवाल छिड़ गया सवाल ये है कि आखिर इतनी बड़ी लापरवाही निर्वाचन आयोग क्यों कर रहा है। क्या जानबूझकर विपक्ष को कमजोर करने की साजिश की जा रही है।