विधिक सेवा प्राधिकरण देता है लोगों को मुफ्त सलाह, मुफ्त वकील, बिना मुकदमे के त्वरित न्याय:पूर्णिमा प्रांजल

रिपोर्ट – अनिरुद्ध पांडे

कौशाम्बी – जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39A के तहत समाज के वंचित और कमजोर वर्गों को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने की वकालत करता है, और समान अवसर के आधार पर न्याय को बढ़ावा देता है। संविधान के अनुच्छेद 14 और 22(1) भी राज्य के लिए कानून के समक्ष समानता की गारंटी देना अनिवार्य बनाते हैं।

इसी आलोक में 1987 में, “विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम” संसद द्वारा पारित किया गया, जो 9 नवंबर 1995 को लागू हुआ। इस अधिनियम के तहत ‘National Legal Services Authority of India’ का गठन किया गया। इसमें राष्ट्रीय व राज्य स्तर के साथ-साथ जिले में विधिक सेवा कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने के लिए प्रत्येक जिले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (District Legal Service Authority) का गठन किया गया है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रत्येक जिले में जिला न्यायालय परिसर में स्थित है और संबंधित जिले के जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में होता है।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव ADJ पूर्णिमा प्रांजल ने पत्रकारों से वार्ता के दौरान बताया कि कौशाम्बी जिले में समाज के निर्धन एवं अन्य मजबूर लोगों को सुलह समझौते के आधार पर न्याय देता है।उन्होंने बताया कि जिले में अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों से वैवाहिक संबंधों के खराब होने के मामले अधिक आते हैं, जिन्हे कॉल एनजी कर उन्हे पुनः एक साथ रहने के लिए तैयार किया जाता है।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव ADJ पूर्णिमा प्रांजल ने बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) के मुख्य कार्य इस प्रकार हैं:

  • परामर्श और कानूनी सलाह की प्रकृति में निःशुल्क और सक्षम कानूनी सहायता प्रदान करना|
  •  न्यायालयों और न्यायाधिकरणों के समक्ष मामलों के संचालन में निःशुल्क कानूनी सेवाएं प्रदान करना|
  •  सभी प्रकार के लम्बित प्रकरणों के लिए प्रत्येक माह नियमित लोक अदालतों का आयोजन करना और विशेष श्रेणी के मामलों के लिए विशेष लोक अदालतों का आयोजन करना|
  • लोक अदालतें शुल्क और विलम्ब को सीमित करती हैं, और कानूनी तकनीकीताओं पर काबू पाते हुए त्वरित न्याय सुनिश्चित करती हैं|
  • प्रत्येक जिले में स्थायी लोक अदालतों की स्थापना करके सुलह तंत्र के माध्यम से मुकदमेबाजी-पूर्व विवाद समाधान की जिम्मेदारी लेना, जहां सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं से संबंधित मामलों को निपटान के लिए लिया जाता है|
  •  जनता के बीच कानूनी जागरूकता फैलाना, विशेष रूप से कानूनी महत्व के विभिन्न मुद्दों पर सामाजिक
    विधानों के लाभार्थियों और बड़े पैमाने पर जनता को लक्षित करना|
  • जिन विचाराधीन कैदियों के मामले अदालतों में लंबित हैं, उन्हें निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए प्रयास करना|
  •  देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले महिलाओं और बच्चों के लिए कॉलेजों, जेलों और कानूनी जागरूकता कार्यक्रमों में कानूनी साक्षरता कक्षाएं आयोजित करना|

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव ADJ पूर्णिमा प्रांजल ने बताया कि आगामी 13 जुलाई को वृहद राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन पूरे देश में हो रहा है| कौश्बी जनपद में भी वृहद लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है|उन्होंने कौशाम्बी के लोगों से अपील की है कि जिले के ऐसे लोग जिन पर ऐसे मुकदमे हैं जिनको महज जुर्माना जमाकर समाप्त किया जा सकता है| वह जनपद न्यायालय स्थित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कार्यालय पर आकर अपना आवेदन प्रस्तुत कर सकते है,जिससे कि आने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत ने उन मामलों को निस्तारित कराया जा सके।

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