भू कानून की बारी, सड़कों पर आंदोलनकारी !

KNEWS DESK… उत्तराखंड में सशक्त भू-कानून और मूल निवास की मांग तेज हो गई है। दअरसल राज्य आंदोलनकारियों ने सशक्त भू कानून व मूल निवास लागू कराने को लेकर परेड ग्राउण्ड से मुख्यमंत्री आवास कूच किया। इस दौरान राज्य आंदोलनकारियों की पुलिस प्रशासन से तीखी नोंक झोंक भी हुई।  वहीं राज्य आंदोलनकारी सरकार की अंदेखी से नाराज है पिछले लंबे समय से राज्य आंदोलनकारी सरकार से अपनी विभिन्न मांगों को पूरा करने की मांग कर रहे है। लेकिन सरकार द्वारा कोई कार्रवाई ना किए जाने से नाराज होकर राज्य आंदोलनकारियों ने सीएम आवास कूच किया। राज्य

दरअशल आपको बता दें कि आंदोलनकारियों का कहना है कि उत्तराखंड का मौलिक स्वरूप बनाए रखने के लिए मजबूत और सख्त भू-कानून, मूल निवास-1950 और धारा 371 कड़ाई से लागू होना चाहिए। हर राज्य का अपना भू-कानून और मूल निवास की व्यवस्था है। यह दुर्भाग्य है कि उत्तराखंड को राष्ट्रीय दलों ने प्रयोगशाला बनाकर रख दिया। राज्य गठन के 23 साल बाद भी मूल निवासियों को कोई लाभ नहीं मिला, उल्टा वे नुकसान में रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि सरकार की ओर से एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया गया है। सरकार बेहद गंभीर है सख्त भू-कानून लागू करने को लेकर वहीं विपक्षी दलों ने भी राज्य आंदोलनकारियों की इस मांग का समर्थन करते हुए सरकार पर निशाना साधा है।

उत्तराखंड में सशक्त भू-कानून और मूल निवास के मुद्दे पर राज्य आंदोलनकारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उत्तराखंड में सशक्त भू कानून व मूल निवास लागू कराने को लेकर राज्य आंदोलनकारियों ने परेड ग्राउण्ड से मुख्यमंत्री आवास कूच किया। राज्य आंदोलनकारी सरकार की अंदेखी से नाराज है पिछले लंबे समय से राज्य आंदोलनकारी सरकार से अपनी विभिन्न मांगों को पूरा करने की मांग कर रहे हैं।लेकिन सरकार द्वारा कोई कार्रवाई ना किए जाने से नाराज होकर राज्य आंदोलनकारियों ने नौ अगस्त को क्रांति दिवस के अवसर पर सीएम आवास कूच किया। राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि उत्तराखंड का मौलिक स्वरूप बनाए रखने के लिए मजबूत और सख्त भू-कानून, मूल निवास-1950 और धारा 371 कड़ाई से लागू होना चाहिए। हर राज्य का अपना भू-कानून और मूल निवास की व्यवस्था है। यह दुर्भाग्य है कि उत्तराखंड को राष्ट्रीय दलों ने प्रयोगशाला बनाकर रख दिया। राज्य गठन के 23 साल बाद भी मूल निवासियों को कोई लाभ नहीं मिला, उल्टा वे नुकसान में रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि सरकार की ओर से एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया गया है। सख्त भू-कानून लागू करने को लेकर. सरकार बेहद गंभीर है। आपको बता दें कि राज्य आंदोलनकारी हिमांचल की तर्ज पर सशक्त भू कानून की मांग कर रहे हैं। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिसंबर 2018 में भू कानून में संसोधन किया था जिसके तहत पहाड़ों में भूमि खरीद की अधिकतम सीमा को समाप्त कर दिया गया। अब कोई भी राज्य में कहीं भी भूमि खरीद सकता है. साथ ही इसमें उत्तराखंड के मैदानी जिलों देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंहनगर में भूमि की हदबंदी भी खत्म कर दी गई। इन जिलों में तय सीमा से अधिक भूमि खरीदी या बेची जा सकेगी।  वहीं विपक्षी दलों ने भी राज्य आंदोलनकारियों की इस मांग का समर्थन करते हुए सश्कत भू कानून और मूल निवास लागू किए जाने की मांग की है।

कुल मिलाकर उत्तराखंड में सशक्त भू-कानून और मूल निवास के मुद्दे पर राज्य आंदोलनकारियों ने सरकार पर दबाब बनाना शुरू कर दिया है। राज्य आंदोलनकारी सरकार की अंदेखी से नाराज है। सत्ता में आने से पहले सीएम धामी ने भी सश्कत भू कानून लागू करने का वादा किया था लेकिन कमेटी गठित होने के बाद इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं होने से राज्य आंदोलनकारी नाराज है देखना होगा क्या राज्य आंदोलनकारियों के प्रदर्शन से सरकार इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई करती है या नहीं

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