रिपोर्ट- अनिरुद्ध पांडेय
उत्तर प्रदेश- कौशाम्बी जिला अस्पताल का खाना मरीजों का मर्ज और बढ़ा रहा है| अस्पताल में भर्ती मरीज को बीमारी कुछ भी हो खाना एक जैसा ही मिल रहा है। इस ओर न तो डॉक्टर ध्यान दे रहे हैं और न ही खाना उपलब्ध कराने वाले जिम्मेदार गंभीर हैं|
वैसे तो हर मरीज का भोजन उसकी बीमारी के हिसाब से होना चाहिए| डॉक्टर भी इसकी सलाह देते हैं, लेकिन जिला अस्पताल में ऐसा नहीं है। अस्पताल में भर्ती उल्टी-दस्त, बुखार, खांसी, दमा, टीबी के मरीजों को भोजन और नाश्ता एक सा ही दिया जा रहा है| डॉक्टर मरीज की डाइट लिखने की जरूरत नहीं समझते| लिहाजा रसोई के मेन्यू के हिसाब से बनने वाला भोजन ही मरीज के पास तक पहुंचता है| कई बार जिम्मेदार अपनी सहूलियत के हिसाब से भोजन मुहैया करा देते हैं|
रविवार को अस्पताल में मरीजों को दोपहर में अरहर की दाल व चावल, आलू की सब्जी, और रोटी दी गई। अस्पताल में भर्ती सभी मरीजों को जो खाना उपलब्ध कराया गया, उसे खाना उनकी मजबूरी है। इस समस्या के पीछे डाइट चार्ट का न होना भी है| अगर डॉक्टर हर मरीज का डाइट चार्ट दे दें तो खाना उसी हिसाब से उपलब्ध कराया जाए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है।
खाना बांटने में भी अव्यवस्थाएं हावी
तीमारदारों को अपने बर्तन लाने पड़ते हैं| उसमें सब्जी और दाल दी जाती है| तीमारदारों को सिल्वर पेपर में लपेटकर देने के बजाय रोटियां उनकी थाली में ही दी जाती हैं| कई बार हवा लगने से रोटी सूख जाने से बुजुर्ग मरीजों को खाने में दिक्कत होती है|
अफसर का कहना है कि जिला अस्पताल में मरीजों को क्या भोजन दिया जा रहा है और कितने मरीजों को भोजन दिया गया, इसकी जानकारी नहीं है| भोजन का ठेका है, हां अगर इसमें कोई गड़बड़ी या अनियमितता हो रही है तो वह सख्त कदम उठाएंगे|