जैसे मां के चरणों में चारधाम, वैसे ही मातृभाषा की गोद में आनंदधाम- मुख्यमंत्री मोहन यादव

KNEWS DESK- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मां और मातृभाषा से ऊपर दूसरा कोई नहीं है। मां और मातृभाषा ही हमारी सबसे बड़ी पालक हैं। इनका स्थान कोई नहीं ले सकता है, जैसे मां के चरणों में चारधाम है, उसी प्रकार मातृभाषा की गोद में आनंदधाम है। जितना सटीक हमारी मातृभाषा का व्याकरण है, उतना ही समृद्ध हिन्दी साहित्य है। उन्होंने कहा कि 52 वर्णों में गुंथी हुई हिन्दी की वर्णमाला ही हमारी पहली पाठशाला है। जो  से अनपढ़ बच्चे की अंगुली पकड़कर ज्ञ से ज्ञानी बना दे, वही हिन्दी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हिन्दी विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। अंग्रेजी और मंदारिन के बाद हिन्दी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। हिन्दी हमारी संस्कृति को जोड़ती है। हिन्दी के बिना हमारा साहित्य, हमारी भावनाएं और हमारी संवेदनाएं यकीनन अधूरी हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव रवीन्द्र भवन के हंसध्‍वनि सभागार में हिन्दी दिवस के अनुक्रम में आयोजित भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में हिन्दी साहित्य लेखन और हिंदी के व्यापक स्तर पर लोकव्यापीकरण में योगदान देने वाले देश-विदेश के हिन्दी के 10 मूर्धन्य साहित्यकारों को विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी भाषा सम्मानों से सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विभिन्न साहित्यिक पुस्तकों का विमोचन/लोकार्पण भी किया। कार्यक्रम के दौरान ही महाराजा विक्रमादित्‍य शोधपीठ द्वारा आयोजित विक्रमोत्‍सव 2025 को एशिया के शासकीय समारोह की विशेष श्रेणी में वॉव अवार्ड एशिया की टीम द्वारा मुख्‍यमंत्री डॉ. यादव को सम्‍मान स्वरूप गोल्‍ड अवार्ड भेंट किया गया। कार्यक्रम में स्‍वदेशी जागरण अभियान अंतर्गत देश हित में द सूत्र का अभियान Be इंडियन, Buy इंडियन, हमारी-लक्ष्‍मी-हमारे पास का शुभारंभ किया गया। आरएनटीयू के विश्व हिंदी ओलंपियाड एवं विश्वरंग के पोस्टर का लोकार्पण भी इस अवसर पर किया गया।

मुख्‍यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज ही अभियंता दिवस भी मनाया गया है। उन्होंने सभी को अभियंता दिवस की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि भारत एकमात्र देश है, जहां सर्वाधिक मातृभाषा हिंदी बोली जाती है। भगवान श्रीराम ने हजारों साल पहले मातृभाषा की गरिमा का उल्लेख किया था। आल्हा-ऊदल के महाकाव्य में हिंदी की सुंदरता देखने को मिलती है। रानी लक्ष्मीबाई और रानी दुर्गावती पर काव्य लिखकर इसे पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। राजाभोज के काल में कविता के रचनाकारों को स्वर्ण मुद्राएं देकर सम्मानित किया जाता था। महाकवि कालिदास की रचनाओं से मालवी, भीली, कोरकू जैसी अनेक भाषाएं निकली हैं। उन्होंने कहा कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी काव्य रचनाओं को अलग स्थान दिलाया। उन्होंने 50 वर्ष के राजनीतिक जीवन में सर्वाधिक समय नेता प्रतिपक्ष के पद को सुशोभित किया। वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दुनिया के हर बड़े मंच पर हिंदी भाषा में संबोधन के जरिए भारत को गौरवान्वित करते हैं। उनके पहुंचने मात्र से ही मंच प्रकाशमय हो जाता है।