मान्यता है कि पीढ़ी दर पीढ़ी शंख के भीतर से निकलता है शिशु शंख

संवाददाता- दीपक वैष्णव
जगदलपुर- शंख को वैसे तो हम सभी ने कई प्रकार के देखे है, साथ ही हर शंखों का कलर भी अलग- अलग क्षेत्रो के हिसाब से अलग अलग मिलता है। पर आज हम जिस बात का खुलासा करने जा रहे हैं वो है एक जीवित शंख । आमतौर पर सभी ने निर्जीव शंख ही देखा होगा। पर आज हम आपको जीवित शंख से रूबरू करवाने जा रहे हैं। जिसे कभी छोटा सा लाया गया था। आज वह शंख बड़ा भी होने के साथ ही नवीन शंख का निर्माण करके अपने अंदर से बाहर भी निकाल चुका है। आश्चर्य की बात यह है कि वर्तमान में उस शंख के अंदर एक और शंख की रचना हो रही है। जिसे हम शिशु शंख कह सकते हैं।

आपको यह भी बता दें की इस शंख को ना ही पानी मे रखा जा रहा है और न रेत पर और ना तो और इसके भीतर कोई जीव है उसके बाद भी एक शंख के भीतर से शंख की रचना होना आश्चर्यचकित करने वाली बात है सामने आ रही जिसका पूजा सालों से किया जा रहा है। और पीढ़ी दर पीढ़ी इस शंख के भीतर से शंख की रचना हो रही है।

शंख का प्रतिदिन होता है पूजन, पूजा करने लगती है भक्तों की भीड़ जगदलपुर में रहने वाली पुजारिन कुमन ठाकुर का कहना है कि यह शंख उनके परदादा श्री राम चंद ठाकुर जब जगदलपुर मुख्यालय में स्थित गंगामुण्डा तालाब में पीने का पानी लेने गए हुए थे जहां पीने के पानी भरने के पश्चात उन्हें इस शंख की प्राप्ति हुई थी साथ ही उनके सपने में आ कर अपना देवी नाम बताया था साथ ही पुजारिन का यह भी कहना है कि न तो शंख के अंदर किसी प्रकार का जीव है न ही हम इसे पानी या रेत पर रखते उसके बावजूद आज शंख गर्भावस्था में है औऱ इस मादा शंख के अंदर एक शंख शिशु है जो कुछ समय बाद जन्म लेगा और पहले भी एक शिशु का जन्म हो चुका है अब न जाने कौन से पीढ़ी में इस शिशु का जन्म होगा।

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