रिपोर्ट: राहुल बैरागी
रतलाम:जिला मुख्यालय से 55 किमी दूर एक ऐसा गांव है जहां रावण की नाक काटकर उसका दहन कर देते है.इस अनोखी परंपरा को सभी धर्म के लोग मिलकर मनाते है.
मध्य प्रदेश के रतलाम जिले का ऐसा गांव है,जहां रावण की नाक काटकर उसको दहन कर दिया जाता है.जहां रावण की नाक काटकर उसका अंत 6 महीने पहले किया जाता है.इस अनोखी परंपरा को सभी धर्म के लोग मनाते है.इस गांव में चैत्र नवरात्रि में रावण के अंत की परंपरा कई सालों से चली आ रही है.ग्राम कालूखेड़ा गांव से बेंड बाजो के साथ भगवान श्री राम जी के मंदिर से पालकी में भगवान श्री राम जी विराजित रावण तक इस पालकी को ले जाते है इस पालकी के साथ में ग्राम कालूखेड़ा से मेला समिति समिति के संरक्षक ठाकुर केके सिंह चंद्रावत कालूखेड़ा के साथ में समस्त ग्रामवासी के साथ में इस पालकी को पूरे गांव में घुमाया जाता है उसके बाद रावण के सामने पालकी को ले जाते हैं, उसके बाद राम की सेना और रावण की सेना के बीच में कुछ समय के लिए वाद संवाद होता है श्रीलंका का दहन किया जाता है.
बैंड बाजो के साथ निकाली जाती है यात्रा
ढोल नगाडे व बैंड बाजों के साथ शोभा यात्रा पूरे गांव में निकाली जाती है.जिसकी वजह से गांव से होकर दशहरा मैदान तक ले जाया जाता है.और साथ ही साथ शारदीय नवरात्रि के पड़ने वाले दशहरे में हमारे गांव में पुतले का दहन नहीं किया जाता है.
कई सालों से चलती आ रही परंपरा
उसके बाद कई सालों से चलती आ रही परंपरा के अनुसार इस वर्ष भी गांव के ठाकुर के के सिंह कालूखेड़ा द्वारा श्री राम जी की पालकी से भाले को टच करते हुए रावण का नाक काटा जाता है, ये परम्परा पिछले कई सालों से चलती आ रही है.