Knews Desk, उत्तराखंड में विकास के नाम पर प्रकृति का दोहन जारी है। एक तरफ जहां राजधानी देहरादून में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए नालापानी स्थित खलंगा में 2000 से ज्यादा पेड़ों को काटने की तैयारी है तो वही दूसरी ओर अब गंगा की सहायत नदियों पर भी खतरा मंडरा रहा है। दअरसल नई टिहरी में एशिया के सबसे बड़े टिहरी बांध परियोजना और कोटेश्वर बांध परियोजना में पंप स्टोरेज प्लांट को चालू करने की तैयारी है। इसकी वजह से कई राज्यों और टिहरी जनपद के अधिकांश क्षेत्र में पीने के पानी का संकट गहरा सकता है। इस परियोजना की वजह से गंगा की अविरल धारा पर भी प्रभाव पड़ेगा। आपको बता दें कि टिहरी बांध के अधिकारियों द्वारा भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार के साथ ही अन्य राज्यों से भी अनुमति ली गई है। जल्द ही बांध परियोजना के अधिकारी शट डाउन लेने जा रहे हैं.. 1 जून से शटडाउन लिये जाने की तैयारी है। टरबाइन चालू करने को लेकर अब टिहरी बांध परियोजना शट डाउन लेने जा रही है.. जिससे कई राज्यों में पीने के पानी का संकट के साथ ही बिजली का संकट गहरा सकता है। साथ ही गंगा की सहायक धारा भागीरथी पर संकट गहराने को मिलेगा। वहीं गंगा की अविरल धारा पर भी इसका विपरित असर पडेगा। आपको बता दें कि एक माह के भीतर पूरा होने जा रहे इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से देश के सबसे बड़े पंप स्टोरेज प्लांट के नाम से यह जाना जाएगा। वहीं राज्य में अब इस परियोजना को लेकर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस ने सरकार पर गंगा की अविरलता को बनाए रखने की मांग है। वहीं भाजपा बढ़ती आबादी को बिजली और पानी की आपूर्ति को जरूरी बताते हुए कांग्रेस पर निशाना साध रही है। सवाल ये है कि क्या विकास के नाम पर प्रकृति से छेड़छाड़ विनाश का कारण तो नहीं बनेगी। आज इसी मुद्दे पर करेंगे विस्तार से बातचीत पहले देखिए हमारी खास रिपोर्ट भागीरथी जाएगी छूट, तो गंगा जाएगी रूठ
देवभूमि उत्तराखंड में जल्द ही नई टिहरी में एशिया के सबसे बड़े टिहरी बांध परियोजना और कोटेश्वर बांध परियोजना में चल रहा है पंप स्टोरेज प्लांट का कार्य शुरू होने जा रहा है। इसकी वजह से कई राज्यों और टिहरी जनपद के अधिकांश क्षेत्र में पीने के पानी का संकट गहरा सकता है। साथ ही गंगा की अविरल धारा पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। वहीं टिहरी बांध के अधिकारियों द्वारा भारत सरकार उत्तराखंड सरकार के साथ अन्य राज्यों से भी अनुमति ली गई है जल्द ही बांध परियोजना के अधिकारी शट डाउन लेने जा रहे हैं.. 1 जून से शटडाउन लिया जाएगा इसकी वजह से कई राज्यों में भी पीने का पानी और बिजली का संकट पैदा होगा।
वहीं अब इस परियोजना के कार्य शुरू होने के साथ ही राज्य में आरोप- प्रतारोप का दौर शुरू हो गया है। भाजपा-कांग्रेस गंगा की अविरल धारा पर मंडरा रहे इस खतरे पर आमने-सामने आ गये हैँ। वहीं संत समाज में भी इस परियोजना को लेकर काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है। संत समाज ने सरकार को चेतावनी दी है। कि यदि गंगा की अविरलता से छेड़छाड़ हुई तो इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा। वहीं संत समाज ने सरकार से वैकल्पिक रास्ते को तलाशने की मांग की है।
एक और जहां देश के साथ ही उत्तराखंड में हो रहे जन्संख्या विस्फोट के चलते सरकार अभी से तैयारियों में जुट गई है। आने वाले समय में इस बड़ी आबादी को पीने का पानी उपलब्ध कराने के साथ ही बिजली की आपूर्ति दी जानी है। वहीं आने वाले समय में इलेक्ट्रीक वाहनों की निर्भरता से भी बिजली की मांग बढ़ेगी ऐसे मं सवाल ये है कि क्या विकास के नाम पर प्रकृति से छेड़छाड़ भविष्य के लिए कोई खतरा तो नहीं, क्या इस परियोजना से गंगा की निर्मल धारा भागीरथी और अलकनंदा के संगम से बिछड़ जाने के बाद गंगा की अविरलता बनी रहेगी
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