सैकड़ों ग्रामीणों ने विद्युत विभाग के जिला ऑफिस पर जमकर किया धरना प्रदर्शन, अधिकारियों को बनाया बंधक

रिपोर्ट – दीपक कुमार

उत्तर प्रदेश – शामली जनपद के कई गांव के रहने वाले सैकड़ों ग्रामीणों ने विद्युत विभाग के जिला ऑफिस पर जमकर धरना प्रदर्शन करते हुए अधिकारियों को बंधक बनाया और चेतावनी दी है कि चार या पांच दिन में बिलों के ठीक ना होने के चलते भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक संगठन उग्र आंदोलन करेंगे। ग्रामीणों ने लाइनमैन ,जेई पर भी गांव वालों  से वसूली करते हुए लाखों रुपये लेने का आरोप लगाया है।

लाखों रुपयों के बिल निकाल कर ग्रामीणों को सौंपे

आपको बता दें कि बीते महीने में जहां विधुत विभाग के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में लगाये गये मीटर रीडर ने दर्जनों से ज्यादा गांव के रहने वाले लोगों के बिल गलत निकला है। ज्यादा गांव के रहने वाले लोगों के बिल गलत निकले है। जहां ग्रामीणों ओर किसानों के मीटर रीडर ने लाखों रुपये से ज्यादा रुपयों के बिल निकाल कर ग्रामीणों को सौंपे है| जहां इस बात से कुरमाली, क़ाबडोत, लिशाड, किवाना, बरलाजट, गोहरपुर आदि गांव में रहने वाले ग्रामीणों में हड़कंप मचा हुआ है।

अधिशासी अभियंता के ऑफिस पर प्रदर्शन

जहां अब इस बात को लेकर भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक संगठन ने आपत्ति जताते हुए विरोध प्रदर्शन किया है। जिसके चलते भाकियू अराजनैतिक संगठन के पदाधिकारियो ने सैकड़ो ग्रामीणों के साथ मिलकर गठवाला खाप चौधरी  राजेंद्र मलिक बाबा के नेतृत्व में विधुत विभाग के अधिकारी अधिशासी अभियंता के ऑफिस पर प्रदर्शन करते हुए एक दिवसीय धरना दिया| अधिकारियों को बंधक बनाकर अपने धरने में बैठाए रखा और चेतावनी देते हुआ कहा कि आप के विभाग के ग्रामीण क्षेत्र के जेई, लाइन मैन और मीटर रीडर सभी ने मिलकर अपना गैंग बनकर काम कर रहे है और बिजली का बिल जायदा देते है और फिर उसको ठीक करने के नाम पर 40 से 60 हजार रुपये तक वसूल करते हैं।

जानबूझ कर लाखों रुपये का बिल भिजवाने का आरोप 

वहीं किवाना कुरमाली के जेई पर जानबूझ कर लाखों रुपये का बिल भिजवाने का आरोप लगाया है, जहां फिर वो बिल ठीक करने पर मात्र 2 या 3 महीने में करीब कई लाख रुपये वसूल करने का आरोप लगाया है। वहीं खाप चौधरी बाबा राजेन्द्र ने धमकी दी है कि अगर 5 दिन में बिल ठीक नहीं हुए तो बिजली विभाग के ऑफिस पर उग्र आंदोलन होगा |

About Post Author

Leave a Reply

Your email address will not be published.