KNEWS DESK – उत्तर प्रदेश की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बार फिर अपने व्यंग्यात्मक अंदाज़ में उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर पर निशाना साधा है। वहीं दूसरी ओर, ओपी राजभर ने यादव कथावाचक पर हुई मारपीट पर प्रतिक्रिया देते हुए एक विवादास्पद जातिवादी बयान दे डाला, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।
“ओपी राजभर नहीं, ओपी ‘रातभर’ होना चाहिए”
अखिलेश यादव ने ओपी राजभर के लगातार बदलते राजनीतिक रुख पर चुटकी लेते हुए कहा, “उनका नाम ओपी राजभर नहीं, ओपी ‘रातभर’ होना चाहिए, क्योंकि वो रातभर दल बदलने के बारे में सोचते रहते हैं।”
यह बयान उस समय आया है जब राज्य में गठबंधन की संभावनाओं और समीकरणों को लेकर सरगर्मी बढ़ गई है। विपक्षी एकता और सत्ताधारी गठबंधन के भीतर हो रही खींचतान के संदर्भ में अखिलेश की यह टिप्पणी सियासी हलकों में जमकर चर्चा बटोर रही है।
यादव कथावाचक पर विवादित टिप्पणी से बवाल
हाल ही में इटावा में एक यादव कथावाचक के साथ हुई मारपीट के मामले में ओपी राजभर ने जहां एक ओर घटना की निंदा की, वहीं दूसरी ओर जाति आधारित सीमाएं तय करते हुए एक विवादित बयान दे डाला।
राजभर ने कहा, “ब्राह्मणों का कार्य पूजा-पाठ और विवाह कराना है। यदि यादव समुदाय के लोग कथावाचन करते हैं, तो यह दूसरों के अधिकार में दखल माना जाएगा।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ लोग दो-दो आधार कार्ड बनवाकर दूसरों का हक छीन रहे हैं। उन्होंने सभी जातियों से अपने पारंपरिक कार्यों तक सीमित रहने की सलाह दी और कहा कि यही सामाजिक संतुलन बनाए रखने का तरीका है।
विपक्ष ने बताया “जातिवादी सोच”, सोशल मीडिया पर आलोचना
ओपी राजभर के बयान पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इसे “समाज को बांटने वाला और पिछड़ी जातियों का अपमान” बताया है। सोशल मीडिया पर भी यूजर्स ने राजभर की आलोचना करते हुए कहा कि यह बयान भारत की सामाजिक विविधता और समानता के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है।