उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट
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उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हेतु निर्धारित किये गए आरक्षण के रोटशन प्रक्रिया को चुनौती देती याचिकाओं की सुनवाई की । मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट की खंडपीठ ने आरक्षण को नियमो के तहत तय नही पाते हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर रोक लगा दी है। साथ में सरकार से जवाब पेश करने को कहा है।बीते शुक्रवार को कोर्ट ने राज्य सरकार से स्थिति से अवगत कराने को कहा था परन्तु राज्य सरकार आज स्थिति से अवगत कराने में असफल रही है। कोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार ने चुनाव की तिथि घोषित कर दी। जबकि मामला कोर्ट चल रहा है। जिस पर कोर्ट ने पूरी चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी।आपको बता दे बीते शनिवार को पंचायत चुनाव के लिए जो कार्यक्रम घोषित किया गया था, उसके अनुसार 25 से 28 जून तक नामांकन होने थे. 29 जून से 1 जुलाई तक नामांकन पत्रों की जांच होनी थी. 2 जुलाई को नाम वापसी की अंतिम तिथि थी. 3 जुलाई को चुनाव चिन्ह का आवंटन होना था. 10 जुलाई को पहले चरण का मतदान था. 8 जुलाई को दूसरे चरण के लिए चुनाव चिन्ह का आवंटन करना था. 15 जुलाई को दूसरे चरण का मतदान होना था. 19 जुलाई को मतगणना के साथ चुनाव परिणाम आना था.जिस पर सरकार ने पुणता रोक लगा दी है जो सरकार के लिए एक बड़ा झटका है आपको बता दे कि बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि सरकार ने 9 जून 2025 को एक आदेश जारी कर पंचायत चुनाव हेतु नई नियमावली बनाई साथ ही 11जून को आदेश जारी कर अब तक पंचायत चुनाव हेतु लागू आरक्षण रोटशन को शून्य घोषित करते हुए इस वर्ष से नया रोटशन लागू करने का निर्णय लिया है। जबकि हाईकोर्ट ने पहले से ही इस मामले में दिशा निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ता के अनुसार इस आदेश से पिछले तीन कार्यकाल से जो सीट आरक्षित वर्ग में थी वह चौथी बार भी आरक्षित कर दी गई है। जिस कारण वे पंचायत चुनाव में भाग नहीं ले पा रहे हैं। इस मामले में सरकार की ओर से बताया गया कि इसी तरह के कुछ मामले एकलपीठ में भी दायर हैं। जबकि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने खण्डपीठ में 9 जून को जारी नियमों को भी चुनौती दी है। जबकि एकलपीठ के समक्ष केवल 11 जून के आदेश जिसमें अब नए सिरे से आरक्षण लागू करने का उल्लेख है,अब त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सरकार की मुश्किलें बढ़ गई है और विपक्ष का वार भी
राज्य सरकार की ओर से आरक्षण की प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी. साथ ही राज्य निर्वाचन आयोग को भी भेज दी गई थी. ऐसे में पंचायती राज सचिव की ओर से चुनावी अधिसूचना 21 जून को जारी होने के बाद आज 23 जून को जिला निर्वाचन अधिकारियों को चुनाव की सूचना जारी करनी थी. लेकिन उसके पहले ही आज नैनीताल हाईकोर्ट ने पंचायत चुनावों पर रोक लगा दी है.ऐसे में चुनाव आयोग भी न्यायालय के इस निर्णय का अध्ययन करने के बाद आगे की कार्यवाही की बात कह रहा है राज्य निर्वाचन आयुक्त का कहना है कि उन्हें भी अभी सूत्रों के हवाले से ही चुनाव स्थगित होने की सूचना मिली है उनके अधिवक्ता भी नैनीताल हाईकोर्ट में मौजूद हैं उनसे उन्होंने निर्णय की कॉपी लेने की बात कही है और उसके बाद उसका अध्ययन कर आयोग अपनी आगे की भूमिका स्पष्ट करेगा वही भाजपा अब पंचायत चुनाव को लेकर बीजेपी चारों तरफ से गिर गई है लेकिन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का मानना है कि न्यायालय का सम्मान करते हुए जो वैधानिक प्रक्रियाएं हैं उनको सरकार पूरा करेगी सभी की आपत्तियों को न्यायालय सुन रहा है इस आधार पर सरकार पंचायत चुनाव को लेकर आगे का निर्णय जल्द लेगी।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की रोक पर विपक्षी दलों में एक तरफ खुशी की लहर है तो वही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने न्यायालय का धन्यवाद करते हुए सरकार पर हमला बोला है करण मेहरा का मानना है कि सरकार पहले से ही चुनाव को लेकर बेईमानी करती नजर आ रही थी कहीं ऐसे महत्वपूर्ण बिंदु है जिनको लेकर सरकार हाई कोर्ट में जवाब तक नहीं दे पाई. और यही वजह है कि हाई कोर्ट ने कड़े नियमों के साथ पंचायत चुनाव की तारीखों को निरस्त करते हुए चुनाव पर रोक लगा दी है. वही प्रदेश में उत्तराखंड क्रांति दल ने भी सरकार की नियत और नीति पर सवाल खड़े करते हुए हल्ला बोला लेटलतीफी से चुनाव करना और साथ ही छल बल से चुनाव को जीतने का गंभीर आरोप लगाया है। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भी विपक्षी दलों पर हल्ला बोलते हुए अपनी तरफ से चुनावी तैयारी को पूरा बताया और साथ ही उच्च न्यायालय का सम्मान करते हुए हर परिस्थिति में भाजपा की जीत को लेकर आश्वासन भी दिया है
हाईकोर्ट ने उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर रोक लगा दी है. आरक्षण नियमावली का नोटिफिकेशन जारी नहीं होने पर नैनीताल हाईकोर्ट ने पंचायत चुनावों पर रोक लगा दी है. माना जाए तो जिसका फायदा अब विपक्षी दलों को मिल सकता है चुनावी तैयारियों को लेकर हालांकि भाजपा तो हमेशा से ही चुनावी तैयारियों को लेकर तैयारियों का दावा करती आई है अब देखना होगा सरकार आरक्षण के रोटशन प्रक्रिया की चुनौती को कैसे पार कर पाती है और जीत का दावा भर रहे सभी विपक्षी दल क्या इस चुनावी दंगल की जीत को पार करने में भी सफल होंगे या ये चुनावी देरी भाजपा के लिए ही फायदेमंद साबित होगा ।