वन पंचायतों की कार्यप्रणाली को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर हुई सुनवाई, छः सप्ताह के भीतर शपथ पत्र पेश करने को कहा

रिपोर्ट – कान्ता पाल

नैनीताल – उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश के वन पंचायतों का संरक्षण करने के बजाय उनका विध्वंस करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार सहित वन विभाग से छह सप्ताह के भीतर शपथ पत्र पेश करने को कहा है। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने छह सप्ताह बाद की तिथि निर्धारित की है।

वन पंचायत अपना अस्तित्व खो रही

आपको बता दें कि हल्द्वानी निवासी हिसान्त ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने प्रदेश के वनों की देखरेख और उनके संरक्षण के लिए वन पंचायत अधिनियम पारित किया था, लेकिन न तो वन विभाग और न ही राज्य सरकार ने इस नियमावली का ठीक से अनुपालन करवाया। इसका परिणाम यह हुआ है कि वर्तमान में वन पंचायत अपना अस्तित्व खो रही हैं, क्योंकि वन पंचायत की भूमि पर लोगों ने कब्जा कर लिया है और बाहरी लोगों को बेच दिया है। जहां पहले पेड़ होते थे, वहां अब होटल बनाए जा रहे हैं।

जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि वन पंचायतें जिस उद्देश्य के लिए बनाई गई थीं, उन्हें फिर से उसी उद्देश्य में लाया जाए, न कि पेड़ काटकर अन्य सुविधाओं के लिए। इसके अलावा, जितेंद्र यादव की जनहित याचिका में उच्च न्यायालय द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए राज्य सरकार को दिए गए दिशा-निर्देशों का अनुपालन भी सुनिश्चित किया जाए।

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