सरकार का प्लान ,हाई कोर्ट का फ़रमान !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, बदलते दौर के साथ पर्यावरण को लगातार मिल रही चुनौती को देखते हुए धामी सरकार अब पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़े स्तर पर कार्य करने जा रही है। इसी कड़ी में धामी सरकार राज्य की पांच नदियों के पुनर्जीवन पर कार्य शुरू करने की तैयारी कर रही है। सरकार ने सौंग, पूर्वी और पश्चिमी नयार, शिप्रा, गौड़ी नदी का पुनर्जीवन के लिए चिह्नीकरण किया है। बताया जा रहा है कि राज्य में जल संरक्षण अभियान के तहत प्रथम चरण में पांच नदियों के पुनर्जीवन पर काम किया जाएगा। एसीएस वित्त आनंद वर्द्धन की अध्यक्षता में जल स्रोत नदी पुनर्जीवन प्राधिकरण-सारा की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। जिसके तहत देहरादून-टिहरी में सौंग नदी, पौड़ी में पूर्वी और पश्चिमी नयार, नैनीताल में शिप्रा और चंपावत में गौड़ी नदी को चुना गया है। इनके संरक्षण और पुनर्जीवन को दीर्घकालिक उपाय किए जाने हैं। आपको बता दें कि उत्तराखंड में गर्मियों के मौजूदा सीजन में इस बार 477 पेयजल स्रोतों में पानी कम हुआ है। इसकी वजह से जल संस्थान के पेयजल सप्लाई सिस्टम को इससे बड़ा नुकसान पहुंचा है। वहीं कांग्रेस ने सरकार के नदियों के पुनर्जीवन कार्यक्रम पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का आरोप है कि राज्य सरकार जल संरक्षण के लिए नदियों को पुनर्जीवित करने के नाम पर केवल बजट ठिकाने लगाने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस ने सरकार से श्वेत पत्र जारी कर रिस्पना नदी और कोसी नदी के पुनर्जीवन पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। वहीं विपक्ष के हंगामे के बीच नैनीताल हाईकोर्ट में पर्यावरण संरक्षण को लेकर दायर अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर  एक साथ सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने पर्यावरण के संरक्षण पर सरकार से रिपोर्ट मांगी है। सवाल ये है कि आखिर क्यों कांग्रेस को सरकार के नदियों को पुनर्जीवित करने के कार्यक्रम पर खोट दिखाई दे रहा है।

नैनीताल हाईकोर्ट में पर्यावरण संरक्षण को लेकर दायर अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर  एक साथ सुनवाई हुई। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से चार माह पहले दिए आदेशों की प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है। साथ ही, अगली सुनवाई के लिए चार सप्ताह बाद की तिथि नियत की। मामले के अनुसार, देहरादून निवासी अजय नारायण शर्मा, रेनू पाल एवं उर्मिला थापर ने हाईकोर्ट में अलग-अलग जनहित याचिका दायर कर कहा है कि देहरादून में सहस्त्रत्त्धारा में जलमग्न भूमि में भारी निर्माण किए जा रहे हैं। इससे जल स्रोत सूखने के साथ ही पर्यावरण को खतरा पैदा हो रहा है। दूसरी याचिका में कहा गया कि ऋषिकेश में नाले-खालों और ढांग पर बेइंतहा अतिक्रमण और अवैध निर्माण किया गया है। वहीं कोर्ट ने पर्यावरण के संरक्षण पर सरकार से रिपोर्ट मांगी है

वही एक ओर जहां हाईकोर्ट ने पर्यावरण के संरक्षण पर सरकार से रिपोर्ट मांगी है तो वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार नदियों को पुनर्जीवित करने की योजना पर काम शुरू करने जा रही है। सरकार ने सौंग, पूर्वी और पश्चिमी नयार, शिप्रा, गौड़ी नदी का पुनर्जीवन के लिए चिह्नीकरण किया है। बताया जा रहा है कि राज्य में जल संरक्षण अभियान के तहत प्रथम चरण में पांच नदियों के पुनर्जीवन पर काम किया जाएगा। योजना के तहत देहरादून-टिहरी में सौंग नदी, पौड़ी में पूर्वी और पश्चिमी नयार, नैनीताल में शिप्रा और चंपावत में गौड़ी नदी को चुना गया है। इनके संरक्षण और पुनर्जीवन को दीर्घकालिक उपाय किए जाने हैं। हालांकि कांग्रेस का आरोप है कि राज्य सरकार जल संरक्षण के लिए नदियों को पुनर्जीवित करने के नाम पर केवल बजट ठिकाने लगाने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस ने सरकार से श्वेत पत्र जारी कर रिस्पना नदी और कोसी नदी के पुनर्जीवन पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।

कुल मिलाकर बदलते समय ने लोगों को पर्यावरण के प्रति सोचने पर मजबूर कर दिया है। साथ ही जीवन में पर्यावरण की उपयोगिता को भी समझा जा रहा है। दिलाराम चौक से मुख्यमंत्री आवास तक सड़क चौड़ीकरण की चर्चा के बीच ही हजारों लोग पेड़ों के बचाने के लिए सड़कों पर आ गये। जो एक अच्छे संकेत है। हालांकि अब देखना होगा कि क्या सड़क चौड़ीकरण के नाम पर पेड़ों का कटान रुकेगा, क्या धामी सरकार राज्य की नदियों को पुनर्जीवित कर पाएगी। आखिर क्यों कांग्रेस सरकार की इस योजना को बजट ठिकाने लगाने की योजना बता रही है।

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