दिल्ली विधानसभा का पहला सत्र : अरविंदर सिंह लवली बने प्रोटेम स्पीकर, एलजी विनय सक्सेना ने दिलाई शपथ

KNEWS DESK – दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के बाद सोमवार को पहला विधानसभा सत्र शुरू हुआ, जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 27 वर्षों बाद सत्तापक्ष की सीट संभाली, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) को विपक्ष में बैठना पड़ा। यह तीन दिवसीय सत्र पहले ही दिन राजनीतिक गर्माहट से भर गया।

प्रोटेम स्पीकर की भूमिका और विधायकों का शपथ ग्रहण

दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने प्रोटेम स्पीकर अरविंदर सिंह लवली को राजनिवास में शपथ दिलाई। इसके बाद लवली ने विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव से पहले सदन की कार्यवाही संभाली और सभी नव-निर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई। भाजपा सरकार के लिए यह एक महत्वपूर्ण चरण था, क्योंकि सदन में उसका बहुमत जरूर है, लेकिन विपक्षी दलों की ओर से तीखे हमलों की संभावना बनी हुई है।

दोपहर में विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव हुआ, जिसमें भाजपा ने विजेंद्र गुप्ता को उम्मीदवार बनाया। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने विजेंद्र गुप्ता के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसे कैबिनेट मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा और प्रवेश साहिब सिंह ने समर्थन दिया। भाजपा इस चुनाव को अपनी सत्ता स्थापना के एक अहम संकेत के रूप में देख रही है, जबकि आप इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अगला चरण बता रही है।

कैग रिपोर्ट 

विधानसभा सत्र के दूसरे दिन, यानी 25 फरवरी को, उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना का अभिभाषण होगा। इसके बाद पूर्ववर्ती आम आदमी पार्टी सरकार से जुड़ी 14 लंबित कैग रिपोर्ट सदन में पेश की जाएंगी। भाजपा का दावा है कि इन रिपोर्ट्स में घोटालों का खुलासा होगा और जनता को आप सरकार की कथित अनियमितताओं के बारे में बताया जाएगा। वहीं, आम आदमी पार्टी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर चुकी है, जिससे सदन में जबरदस्त हंगामे की संभावना है।

भाजपा के चुनावी वादों पर आप का प्रहार

सत्र के दौरान आम आदमी पार्टी भाजपा सरकार को उसके चुनावी वादों पर घेरने की रणनीति बना रही है। पार्टी की वरिष्ठ नेता आतिशी के नेतृत्व में भाजपा को उसके वादों जैसे महिलाओं को ₹2500 प्रतिमाह देने और यमुना नदी की सफाई पर ध्यान दिलाने की कोशिश की जाएगी। आम आदमी पार्टी का आरोप है कि भाजपा सत्ता में आने के बाद अपने वादों से पीछे हट रही है, जिससे जनता को गुमराह किया जा रहा है।

क्या यह सत्र रहेगा हंगामेदार?

इन राजनीतिक घटनाक्रमों को देखते हुए यह सत्र काफी रोचक होने वाला है। भाजपा जहां अपने शासन की सफल शुरुआत के लिए प्रयासरत है, वहीं आम आदमी पार्टी सत्ता पक्ष को जनता के मुद्दों पर घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। आने वाले दिनों में सत्ता और विपक्ष की रणनीतियों से यह स्पष्ट होगा कि दिल्ली की राजनीति किस दिशा में बढ़ रही है।

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