क्षैतिज आरक्षण की लड़ाई, सियासत गरमाई !

Knews Desk, उत्तराखंड में  उपचुनाव और निकाय चुनाव की तैयारियों के बीच राज्य आंदोलनकारियों ने धामी सरकार की टेंशन बढ़ा दी है। दअरसल उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच ने भू-कानूनमूल निवासराज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षणचिन्हीकरण जैसे मुद्दों पर मुख्यमंत्री आवास कूच किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। वहीं पुलिस ने हाथीबड़कला में बैरिकेडिंग की मदद से सभी प्रदर्शनकारियों को रोका तो आंदोलनकारी वहीं सीएम से वार्ता की मांग को लेकर सड़क पर धरने पर बैठ गए। हांलाकि देर शाम मुख्यमंत्री ने राज्य आंदोलनकारियों को वार्ता के लिए बुलाया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य आंदोलनकारियों की सभी मांगों पर कार्यवाही का आश्वासन दिया। इसके बाद आंदोलनकारियों ने अपना धरना समाप्त कर दिया। आपको बता दें कि राज्य आंदोलनकारी 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के साथ ही राज्य आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण समेत मूल निवास, भू कानून को लागू किये जाने की मांग कर रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण के मुद्दे पर सरकार शुरु से गंभीर है। विधेयक भी पारित कर राजभवन भेजा गया है। इस पर कार्यवाही जारी है। इसके अलावा भी अन्य विषयों पर सरकार गंभीरता से कार्य कर रही है। वहीं प्रदेश में राज्य आंदोलनकारियों के मुद्दे पर अब सियासत भी गरमा गई है। वहीं कांग्रेस ने भाजपा पर राज्य आंदोलनकारियों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। सवाल ये है कि आखिर क्यों सरकार राज्य आंदोलनकारियों की मागों को पूरा नही कर रही है। 

 

उत्तराखंड में एक बार फिर राज्य आंदोलनकारियों ने धामी सरकार से आर-पार की जंग का ऐलान कर दिया है। दअरसल उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच ने भू-कानूनमूल निवासराज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षणचिन्हीकरण जैसे मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री आवास का कूच किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। वहीं पुलिस ने हाथीबड़कला में बैरिकेडिंग की मदद से सभी प्रदर्शनकारियों को रोका तो आंदोलनकारी वहीं धरने पर बैठ गये। हांलाकि मुख्यमंत्री से वार्ता के दौरान मिले आश्वासन के बाद राज्य आंदोलनकारियों ने अपना धरना प्रदर्शन समाप्त किया। लेकिन सरकार को चेतावनी दी है कि जल्द ही मांगों का निस्तारण ना होने पर उग्र आंदोलन किया जाएगा।

 

आपको बता दें कि धामी सरकार राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का लाभ देना चाहती है। इसके लिए इसी साल फरवरी में सरकार ने प्रवर समिति की सिफारिशों को मानते हुए विधेयक कुछ संशोधनों के साथ राजभवन भेजाजो एक बार फिर लटक गया है। पिछले चार माह से राजभवन विधेयक पर निर्णय नहीं ले पायाजिससे राज्य आंदोलनकारियों में नाराजगी है। वहीं दूसरी ओर राज्य में पिछले लंबे समय से सश्क्त भू कानून और मूल निवास लागू किए जाने की मांग की जा रही है। सरकार की ओर से पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में भू कानून के लिए एक कमेटी भी गठित की गई थी…इस गठित भू कानून समिति ने सितंबर 2022 में धामी सरकार को अपनी सिफारिशें सौंप दी थी। लेकिन शासन स्तर पर समिति की सिफारिशों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

 

 कुल मिलाकर चुनावी तैयारियों के बीच धामी सरकार की टेंशन एक बार फिर राज्य आंदोलनकारियों ने बढ़ा दी है। हांलाकि सत्ताधारी दल राज्य आंदोलनकारियों की सभी मांगों को पूरा करने का आश्वासन तो दे रहा है लेकिन कबतक राज्य आंदोलनकारियों की मांगें पूरी हो पाएगी। इसपर अभी तक सस्पेंस बरकार है देखना होगा कि कबतक धामी सरकार राज्य आंदोलनकारियों की मांगों को पूरा कर पाती है।

 

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट

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