PRASHANT SONI- जनपद कासगंज की जिला कलेक्ट्रेट पर मंगलवार को जिले के शासकीय सहायता प्राप्त स्कूलों और गैर शासकीय सहायता प्राप्त स्कूलों के प्रवंधक और प्रधानाचार्य के साथ जिलाधिकारी मेधा रुपम की अध्यक्षता में बैठक हुई। इस बैठक में जिलाधिकारी ने सभी को शिक्षा को व्यापार न बनाने के निर्देश दिए, और कहा की जिले में हर वर्ष यूनिफार्म को चेंज नही किया जाएगा। और सभी स्कूल फीस का निर्धारण करके जिला विद्यालय कार्यालय में जमा करेंगे, और जिले में शिक्षा समिति का गठन कर दिया गया है।
डीएम मेधा रुपम ने कहा की जिले में जादातार स्कूल ट्रस्ट के नाम से चल रहे है। तो आप लोग शिक्षा को व्यापार न बनाए और हर साल स्कूल की यूनिफार्म को चेंज नही करेंगे। अगर इसकी शिकायत आई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जिले में शिक्षा समिति का गठन किया जा रहा है। किताबें और स्टेशनरी और ड्रेस के रेट निर्धारित दामों से ज्यादा नही लिए जाएंगे। स्कूल की फीस का निर्धारण कर लिया जाएं। निर्धारण करके उसे जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में जमा करेंगे और निर्धारण से ज्यादा कोई फीस लेगा तो उसपर कार्रवाई तय होगी। जिलाधिकारी ने आदेशित करते हुए कहा कि कोई भी पुस्तक विक्रेता किताबों और स्टेशनरी का कच्चा बिल नही देगा।

विद्यालय अधिनियम 2018 में है कई नियमों का जिक्र
उत्तर प्रदेश विद्यालय अधिनियम 2018, जिसे आधिकारिक रूप से उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम, 2018 कहा जाता है, राज्य के स्ववित्तपोषित विद्यालयों में शुल्क निर्धारण और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाया गया था। यह अधिनियम 9 अप्रैल 2018 से प्रभावी हुआ और 2020 में इसमें संशोधन भी किया गया। विद्यालयों को वार्षिक शुल्क में वृद्धि करने की अनुमति है, लेकिन यह वृद्धि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में हुई वार्षिक वृद्धि के साथ अधिकतम 5% तक सीमित है। उदाहरण के लिए, यदि CPI में 4.9% की वृद्धि हुई है, तो विद्यालय अधिकतम 9.9% तक शुल्क बढ़ा सकते हैं। इस अधिनियम के तहत प्रत्येक जिले में एक जिला शुल्क विनियमन समिति का गठन किया गया है, जो शुल्क निर्धारण, विवादों के समाधान और अपीलों की सुनवाई के लिए जिम्मेदार है और विद्यालयों को प्रवेश के समय शुल्क, विकास शुल्क, पुस्तकें, वर्दी आदि से संबंधित सभी जानकारी अभिभावकों को स्पष्ट रूप से प्रदान करनी होती है ।