रिपोर्ट – कान्ता पाल
उत्तराखंड डेस्क, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में प्लास्टिक निर्मित कचरे पर पूर्ण रूप प्रतिबंध लगाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट की खण्डपीठ ने राज्य में प्लास्टिक प्रतिबंध के बावजूद दूसरे राज्यों से अवैध रूप से आ रही प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए राज्य सरकार व सम्बंधित विभागों से प्रदेश की सीमाओं पर नाकाबंदी कर प्लास्टिक की थैली को प्रवेश करने से रोकने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कोर्ट ने प्रदेश में कूड़े के वाहनों में जीपीएस सिस्टम और QR कोड अंकित करने को कहा है।
आपको बता दूं कि अल्मोड़ा हवलबाग निवासी जितेंद्र यादव ने जनहित याचिका दायर करके कहा है कि राज्य सरकार ने 2013 में बनाई गई प्लास्टिक यूज और उसके निस्तारण करने के लिए नियमावली बनाई गई थी, परंतु इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। 2018 में केंद्र सरकार ने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स बनाए थे, जिसमें उत्पादक, परिवहनकर्ता और विक्रेता को जिम्मेदारी दी थी कि वे जितना प्लास्टिक निर्मित माल बेचेंगे, उतना ही खाली प्लास्टिक को वापस ले जाएंगे। अगर नहीं ले जाते हैं, तो संबंधित नगर निगम, नगर पालिका और अन्य फंड देंगे, जिससे कि वे इसका निस्तारण कर सकें। परंतु उत्तराखंड में इसका उल्लंघन किया जा रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में प्लास्टिक के ढेर लगे हुए हैं और इसका निस्तारण भी नहीं किया जा रहा है।