KNEWS DESK- बाराबंकी में एक डायग्नोस्टिक सेंटर के लाइसेंस के लिए रिश्वत मांगने के मामले में डिप्टी सीएमओ और पीसीपीएनडीटी के नोडल अधिकारी डॉ. राजीव दीक्षित को निलंबित कर दिया गया है। इस घूसखोरी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई की। प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए निलंबन के निर्देश दिए और स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए।
बाराबंकी के जिलाधिकारी ने इस प्रकरण की जांच के लिए सीडीओ और एसडीएम की दो सदस्यीय समिति गठित की थी। जांच रिपोर्ट में डॉ. राजीव दीक्षित को दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया और मंडलीय अपर निदेशक कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। साथ ही प्रमुख सचिव पार्थसारथी सेन शर्मा को उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रशासनिक लापरवाही के चलते बाराबंकी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. अवधेश कुमार यादव के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचार के मामलों में सरकार कोई नरमी नहीं बरतेगी।
अंबेडकरनगर के बेवाना सीएचसी के डॉक्टर इंद्रेश यादव को भी असामाजिक कृत्य में लिप्त पाए जाने के कारण निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई भ्रष्टाचार और कदाचार के खिलाफ सरकार की सख्ती को दर्शाती है।
हमीरपुर जिला चिकित्सालय के नेत्र सर्जन डॉ. अनिल कुमार सिंह पर एक रोगी को गलत तरीके से इंजेक्शन लगाने का आरोप लगा है। इस मामले में प्रशासन ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा है।
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने साफ कर दिया है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने सभी स्वास्थ्य अधिकारियों को सख्त हिदायत दी है कि वे अपने दायित्वों का ईमानदारी से निर्वहन करें, अन्यथा कठोर कार्रवाई के लिए तैयार रहें। इस मामले से यह स्पष्ट होता है कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए है और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठा रही है।
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