एडमिट कार्ड देने की एवज में रुपए की मांग, स्कूल के खिलाफ बाल कल्याण विभाग ने की बड़ी कार्रवाई, नोटिस जारी कर दिए निर्देश

रिपोर्ट – कुलदीप पंडित

उत्तर प्रदेश – बागपत जिले में शिक्षा माफियाओं को बाल कल्याण विभाग ने नोटिस जारी कर दिया है। एडमिट कार्ड के बदले पैसे वसूली का आरोप छात्रों ओर अभिभावकों द्वारा लगाया गया था। जनपद के बड़ौत नगर में स्थित जौहर पब्लिक स्कूल पर छात्रों से एडमिट कार्ड के बदले ब्लैकमेल करने की शिकायत की गई थी।

एडमिट कार्ड की आड़ में ब्लैकमेल करने के आरोप

दरअसल आपको बता दें कि बोर्ड परीक्षाएं 22 फरवरी से शुरू होने वाली है। सभी स्कूलों में छात्र छात्रों को एडमिट कार्ड बांटे जा रहा है। लेकिन बागपत के बड़ौत नगर में स्थित जौहर पब्लिक स्कूल पर एडमिट कार्ड की आड़ में ब्लैकमेल करने के आरोप लगे है। एडमिट कार्ड देने पर स्कूल अवैध वसूली कर रहा है। सभी छात्राओं से 55 सौ रुपए वसूले जा रहे हैं। स्कूल के छात्र अपने एडमिट कार्ड के लिए स्कूल पहुंचे तो वहां पर एडमिट कार्ड देने पर स्कूल प्रशासन ने 55 सौ रुपए की मांग रखी है। पैसे न देने पर छात्रों को परीक्षा प्रवेश पत्र से वंचित रखा जा रहा है।

अभिभावकों के साथ अभद्र व्यवहार

जौहर पब्लिक स्कूल की अवैध वसूली के खिलाफ छात्रों ने प्रदर्शन किया और पूरा मामला अपने अभिभावकों को बताया। जब बच्चों के अभिभावक स्कूल पहुंचे तो स्कूल मैनेजमेंट ने अभिभावकों के साथ अभद्र व्यवहार किया और आपत्तिजनक टिप्पणी की। जिससे गुस्साए अभिभावकों ने सीडब्ल्यूसी को शिकायती पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई। बाल कल्याण समिति ने मामले को गम्भीरता से लिया है और ऐसे छात्रों के अधिकारों का हनन बताया है। सीडब्लूसी के अध्यक्ष स्वर्ण सिंह एडवोकेट ने स्कूल को नोटिस जारी किया है।

स्कूल का स्टाफ अपनी गलती मानने को तैयार नहीं

पूरे मामले की जानकारी जिला विद्यालय निरीक्षक को एक प्रतिलिपि भेजकर दी गयी है। CWC के अध्यक्ष स्वर्ण सिंह एडवोकेट ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि अगर स्कूल के बच्चों को परीक्षा से वंचित रखा जाता है तो अनुच्छेद 21 के अंतर्गत जौहर पब्लिक स्कूल पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा। पूरे मामले में हंगामा और विरोध होने बाद भी जौहर पब्लिक स्कूल का स्टाफ अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है। जिससे छात्रों के भविष्य पर तलवार लटक गई है। छात्रों के पास पैसे देकर एडमिट कार्ड लेने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का मौन रहना भी स्कूल संचालकों के हौसले को बढ़ावा देता नजर आ रहा है।

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