शीतकालीन सत्र के पहले दिन उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन के सख्त तेवर, संसद में ‘लक्ष्मण रेखा’ का पालन करने की दी नसीहत

डिजिटल डेस्क- संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू होते ही राज्यसभा में एक नई कार्यसंस्कृति का संकेत भी देखने को मिला। क्योंकि इसी दिन नव-निर्वाचित उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति सी.पी. राधाकृष्णन ने अपना कार्यकाल शुरू किया। सदन की पहली ही बैठक में उन्होंने अपने सख्त लेकिन संतुलित तेवरों से साफ कर दिया कि आने वाले दिनों में अनुशासन, मर्यादा और नियम सर्वोपरि होंगे। राधाकृष्णन ने कहा कि संसद संवाद का मंच है, लेकिन संवाद संविधान और रूलबुक द्वारा तय की गई लक्ष्मण रेखा के भीतर ही होना चाहिए। अपनी पहली टिप्पणी में सभापति ने कहा, “देश का संविधान और राज्यसभा की रूल्स बुक पार्लियामेंट्री बातचीत के लिए स्पष्ट सीमा तय करती है। चेयरमैन हो या सदस्य, हम सबको अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर सदस्य के अधिकार पवित्र हैं और वह इन अधिकारों की रक्षा करेंगे, लेकिन यह सुरक्षा तभी संभव है जब सदस्य निर्धारित नियमों का पालन करें।

पीएम और सभी सदस्यों का व्यक्त किया आभार

राधाकृष्णन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सदन के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी जिम्मेदारी देश के सबसे कमजोर और वंचित वर्गों की उम्मीदों को पूरा करने की है। उन्होंने विशेष रूप से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी और आर्थिक रूप से पिछड़े समूहों के सामाजिक न्याय और आर्थिक सशक्तिकरण को लेकर संविधान द्वारा दिए गए “वादे” को पूरा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संसद में होने वाली हर बहस और हर निर्णय में किसानों, मजदूरों, महिलाओं, युवाओं और रोज़मर्रा संघर्ष करने वाले नागरिकों की आवाज़ झलकनी चाहिए।

पीएम मोदी ने की सीपी राधाकृष्णन की तारीफ

सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नए सभापति की खुलकर तारीफ की। पीएम मोदी ने कहा कि राधाकृष्णन एक साधारण किसान परिवार से आते हैं, जिनका पूरा जीवन समाज सेवा को समर्पित रहा है। उन्होंने कहा, “आपका यहां तक पहुंचना हम सबके लिए प्रेरणा है। सदन को प्रगति के मार्ग पर ले जाने के लिए आपका मार्गदर्शन अमूल्य होगा।”

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