डिजिटल डेस्क- सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया आदेश में हवाई अड्डा और प्रवर्तन अधिकारियों को अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को जल्दबाजी में हिरासत में लेने और गिरफ्तार करने के मामलों में सख्त चेतावनी दी है। अदालत ने कहा कि ऐसी कार्रवाई केवल उचित कानूनी सलाह और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने के बाद ही की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता शामिल थे, ने यह टिप्पणी रॉकी अब्राहम के मामले में की। रॉकी, जो इटली में लंबे समय से रहते हैं, पर जनवरी 2025 में दिल्ली हवाई अड्डे पर वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था। आरोप था कि उनके साथ हिरण का सींग ले जाया जा रहा था। अब्राहम छुट्टियाँ मनाने और इलाज के लिए कोच्चि जा रहे थे, लेकिन हवाई अड्डा अधिकारियों ने उनके सामान में सींग मिलने के बाद उन्हें हिरासत में ले लिया और धारा 39, 49 और 51 के तहत FIR दर्ज कर दी।
मानवाधिकारों के उल्लंघन के साथ-साथ भारत की प्रतिष्ठा पर भी कुठाराघात
अदालत ने कहा कि इस तरह की गलत गिरफ्तारी और प्रक्रिया न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन करती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा को भी प्रभावित करती है। रॉकी अब्राहम को देश छोड़ने पर प्रतिबंध सहित कठोर शर्तों के साथ ज़मानत मिली थी और वह लगभग दो हफ्ते तक हिरासत में रहे।
याचिकाकर्ता के खिलाफ एफआईआर को घोषित किया गैर कानूनी
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी और उसके विरुद्ध दर्ज प्राथमिकी को गैरकानूनी घोषित करते हुए रद्द कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अधिकारियों को हमेशा कानूनी सलाह लेकर और संतुलित दृष्टिकोण अपनाकर ही कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि और मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित हो।
अधिकारियों के खिलाफ हो सकती है कानूनी कार्रवाई
कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि हवाई अड्डों पर जल्दबाजी में की गई गिरफ्तारी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की प्रतिष्ठा को धूमिल कर सकती है और अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का खतरा बढ़ा सकती है। अदालत ने आदेश में कहा कि भविष्य में इस तरह के मामलों में अधिकारियों को सख्त अनुशासनात्मक और कानूनी दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा।