डिजिटल डेस्क- स्वास्थ्य मंत्रालय (MoHFW) के अधीन आने वाले सफदरजंग अस्पताल के स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर (SIC) में मरीजों और कर्मचारियों को भारी अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, नई इमारत में ऑपरेशन शुरू हुए लगभग दो वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन अब तक कई बुनियादी चिकित्सा और प्रशासनिक सुविधाएं चालू नहीं हो पाई हैं। सूत्रों के मुताबिक, गरीब मरीजों के लिए बनाई गई ड्रग डिस्पेंसिंग काउंटर अब तक शुरू नहीं की गई है।
परिणामस्वरूप, मरीजों को सामान्य और आवश्यक दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं, जिससे उनका आर्थिक बोझ बढ़ गया है।
‘मुफ़्त सर्जरी’ के नाम पर वसूली, वसूले जा रहे 5 से 7 हजार
नाम न छापने की शर्त में कई कर्मचारियों ने बताया कि जिन सर्जरी को अस्पताल में पूरी तरह निशुल्क होना चाहिए, उनमें मरीजों से ₹5,000 से ₹7,000 तक खर्च करवाया जा रहा है। मरीजों को ऑपरेशन से पहले दवाओं और उपकरणों की एक सूची थमाई जाती है, जिन्हें उन्हें बाज़ार से खरीदकर लाने को कहा जाता है। एक वरिष्ठ सीनियर रेजिडेंट ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ऑपरेशन थिएटर में शेवर और कॉटर्री मशीनें जैसे बुनियादी उपकरण पिछले छह महीनों से अनुपलब्ध हैं। मजबूरी में कुछ शेवर निजी वेंडर से उधार लेकर उपयोग किए गए, जिनकी कोई आधिकारिक दस्तावेजी प्रक्रिया नहीं की गई। इसके अलावा, शोल्डर सर्जरी के दौरान बाइट्स लेने वाला एक विशेष उपकरण, जो वॉरंटी अवधि के तहत था, उसे छह महीने पहले वेंडर को मरम्मत के लिए भेजा गया, लेकिन अब तक वापस नहीं आया है।
महंगे उपकरणों की खरीद पर सवाल
सूत्रों ने यह भी बताया कि शेवर मशीनों की खरीद ऐसे तकनीकी विनिर्देशों (स्पेसिफिकेशन्स) के साथ की गई, जिससे केवल महंगे ब्लेड ही इस्तेमाल किए जा सकें। जबकि बाजार में इन्हीं मशीनों के लिए सस्ते और अनुकूल ब्लेड आसानी से उपलब्ध हैं।
यह खरीद प्रक्रिया अब पारदर्शिता और मंशा पर सवाल खड़े कर रही है। अस्पताल सूत्रों के अनुसार, मौजूदा निदेशक दीपक जोशी अस्पताल की समस्याओं के समाधान में रुचि नहीं ले रहे, बल्कि निजी प्रैक्टिस में संलिप्त हैं। केंद्र सरकार के डॉक्टरों को Non-Practice Allowance (NPA) दिया जाता है, जिसके तहत निजी प्रैक्टिस पूरी तरह प्रतिबंधित है। सूत्रों के अनुसार, 1 अक्टूबर 2025 को निदेशक दीपक जोशी ने साउथ दिल्ली स्थित मास (MASSSH) अस्पताल में डॉ. सुधीर सेठ की सर्जरी की थी। बताया जा रहा है कि वे नियमित रूप से बाहर सर्जरी करते हैं और अस्पताल की दवाइयां व उपकरण निजी उपयोग में लाते हैं।
विरोध करने वाले स्टाफ पर कार्रवाई
सूत्रों ने बताया कि सिस्टर इंचार्ज नरिंदर कौर ने इन अनियमितताओं का विरोध किया था, जिसके बाद उनका ऑपरेशन थिएटर से तबादला कर दिया गया। अब अस्पताल के अंदर और बाहर दोनों जगह इस पूरे मामले की गंभीर जांच की मांग उठ रही है।
फिलहाल स्वास्थ्य मंत्रालय और अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि शिकायतें मंत्रालय तक पहुँच चुकी हैं और जल्द ही जांच शुरू होने की संभावना है।