डिजिटल डेस्क- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ संबंधी टिप्पणी ने देश की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। कांग्रेस ने इस बयान को लेकर पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री बिना पढ़े बोलते हैं और अनजाने में अपनी ही राजनीतिक धारा पर प्रहार कर रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ शब्द की अवधारणा सबसे पहले अर्थशास्त्री राज कृष्णन ने दी थी, जिन्हें जनता पार्टी की सरकार के दौरान प्लानिंग कमिशन का सदस्य बनाया गया था। उस समय सरकार में मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री, लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता महत्वपूर्ण पदों पर थे। खेड़ा ने आरोप लगाया कि ऐसे में यदि पीएम मोदी इस शब्द पर सवाल उठा रहे हैं, तो वे अप्रत्यक्ष रूप से उन्हीं नेताओं पर सवाल उठा रहे हैं, जो उनकी ही राजनीतिक परंपरा के स्तंभ रहे हैं।
देश का दुर्भाग्य है कि प्रधानमंत्री सिर्फ बोलते हैं, पढ़ते-लिखते नहीं-पवन खेड़ा
कांग्रेस नेता ने तंज कसते हुए कहा, “देश का दुर्भाग्य है कि प्रधानमंत्री सिर्फ बोलते हैं, पढ़ते-लिखते नहीं हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय भाषण तो लिखता है लेकिन उसे ठीक से पढ़ा नहीं जाता। अगर पीएम मोदी थोड़ा पढ़ लेते तो शायद ऐसी टिप्पणी न करते।” उन्होंने आगे कहा कि ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ शब्द का इस्तेमाल उस दौर में किया गया था जब भारत 2–3% की धीमी आर्थिक वृद्धि से जूझ रहा था, जबकि आज भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है।
एक कार्यक्रम के संस्करण में दिया था पीएम मोदी ने बयान
दरअसल, एक कार्यक्रम के संस्करण को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा कि दुनिया भारत को ‘ग्लोबल पावरहाउस’ और ‘ग्रोथ इंजन’ के रूप में देख रही है। पीएम मोदी ने सवाल उठाया कि क्या अब कोई भारत की वर्तमान तेज विकास दर को देखते हुए ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ कहता है? उन्होंने कहा कि यह शब्द उस समय का था जब देश धीमी वृद्धि दर के लिए संघर्ष कर रहा था।