डिजिटल डेस्क- लोकसभा के शीतकालीन सत्र में सोमवार को उस समय राजनीतिक हलचल बढ़ गई जब कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने देश की मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर गंभीर चिंता जताते हुए कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया। टैगोर ने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था आज एक असाधारण संकट का सामना कर रही है और चुनाव आयोग की ओर से लागू की गई SIR प्रक्रिया ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। सांसद ने कहा कि देश की वोटर लिस्ट स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की आधारशिला मानी जाती है, लेकिन इसमें लंबे समय से मानवीय त्रुटियां, तकनीकी खामियां और सुरक्षा संबंधी कमजोरियां देखने को मिल रही हैं। इसके बावजूद चुनाव आयोग ने SIR प्रक्रिया को जल्दबाजी और बिना उचित तैयारी के शुरू कर दिया, जिससे पूरे देश में भ्रम और अव्यवस्था फैल गई है।
आयोग ने घटनाओं को न स्वीकार किया, न आंकड़े जारी किए- मणिकम टैगोर
टैगोर ने अपने प्रस्ताव में आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने SIR को लागू करने से पहले न तो शिक्षकों से कोई चर्चा की, न राज्यों से समन्वय किया और न ही पर्याप्त कर्मचारी उपलब्ध कराए। उन्होंने दावा किया कि BLOs पर असामान्य दबाव बढ़ा दिया गया है। नियमित शैक्षणिक जिम्मेदारियों के साथ लगातार घर-घर सत्यापन के काम में जुटाए जाने से कई BLOs तनाव, थकान और मानसिक दबाव का शिकार हो रहे हैं। टैगोर ने आरोप लगाया कि कुछ BLOs बेहोश हुए, कुछ की मौत हो गई और कुछ ने आत्महत्या तक कर ली, लेकिन आयोग ने इन घटनाओं को न स्वीकार किया, न आंकड़े जारी किए और न कोई जांच बैठाई।
SIR प्रक्रिया शिक्षक विरोधी ही नहीं, लोकतंत्र विरोधी भी साबित हो रही है- मणिकम टैगोर
उन्होंने कहा कि SIR प्रक्रिया से आम जनता भी बेहद परेशान है। बार-बार दस्तावेजों की जांच, उलझनभरे निर्देश और मतदाता सूची में मनमानी कटौती के चलते लाखों लोग असुविधा झेल रहे हैं। टैगोर ने कहा, “SIR प्रक्रिया शिक्षक विरोधी ही नहीं, लोकतंत्र विरोधी भी साबित हो रही है। सांसद ने लोकसभा अध्यक्ष से अपील की कि SIR प्रक्रिया को तुरंत रोका जाए। बीएलओ की मौतों और आत्महत्याओं की राष्ट्रीय स्तर पर जांच कराई जाए, प्रभावित परिवारों को मुआवजा मिले, और चुनाव आयोग को सदन के सामने बुलाकर जवाबदेह बनाया जाए।