KNEWS DESK – संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय यानी एनएसडी ने बुधवार को अपने वार्षिक थिएटर उत्सव ‘भारत रंग महोत्सव’ के समापन समारोह पर ‘समुद्र मंथन’ का मंचन किया। ये एक महाकाव्य नाटक है। जो दुनिया में पहली बार किया गया।और सबसे कठिन नाटक है, जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में कला प्रेमी आए थे|
‘समुद्र मंथन’
‘समुद्र मंथन’ नाटक एनएसडी के निदेशक चितरंजन त्रिपाठी के निर्देशन में तैयार किया गया था। दिल्ली के कमानी सभागार में मुख्य अतिथि प्रख्यात कथक नृत्यांगना और पद्म श्री पुरस्कार विजेता शोवना नारायण, एनएसडी के अध्यक्ष और अभिनेता परेश रावल, अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी, पद्म श्री पुरस्कार विजेता भारतीय लोक गायिका मालिनी की मौजूदगी में किया गया।
1500 कलाकारों ने किया कला का प्रदर्शन
खास बात ये है कि इस नाटक में लगभग 1500 कलाकारों ने अलग-अलग पात्रों में अपनी कला का प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम में एनएसडी के अध्यक्ष और अभिनेता परेश रावल ने कहा कि ‘भारत रंग महोत्सव’ 2024 को थिएटर कलाकारों और दर्शकों से काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।उन्होंने ये भी कहा कि एनएसडी का डिसेंट्रलाइजेशन किया जाना चाहिए। ताकि दिल्ली के बाहर के कलाकारों को भी संस्थान तक पहुंच मिल सके और वो भी अपने क्षेत्र में अपने नाटक प्रस्तुत कर सकें।
विकसित भारत का संदेश
भारत रंग कार्यक्रम में एनएसडी के कर्मचारियों ने लघु नाटक का प्रदर्शन किया| जिसमें विकसित भारत का संदेश दिया और सोने की चिड़िया वाले देश को वापस लाने की बात कही| इस नाटक में अभिनय करने वाले पंकज ध्यानी ने बताया कि यह कार्यक्रम हमने 5 दिन में पूरा किया| हम अपने विभाग का कार्य भी करते थे साथ में नाट्य मंचन भी करते थे|
‘समुद्र मंथन’
ये विष्णु पुराण के पूर्व भाग के प्रथम अंश में उल्लिखित भारतीय पौराणिक साहित्य की महत्वपूर्ण कथा है। भरत मुनि रचित नाट्य शास्त्र में इसे विश्व का सबसे पहला नाट्य प्रयोग माना गया है जो कि भरत की ओर से रचित रुपकों में से ‘समवकार’ की श्रेणी में आता है।