डिजिटल डेस्क- वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के ऐतिहासिक अवसर पर कैराना से सांसद इकरा हसन ने संसद में विशेष संबोधन दिया। उनका भाषण न केवल सदन में मौजूद सदस्यों को प्रभावित कर गया, बल्कि सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रहा है। उन्होंने राष्ट्रगीत वंदे मातरम का शाब्दिक अर्थ और उसका सांस्कृतिक संदेश बेहद शांत और तार्किक अंदाज़ में समझाया, जिसे सुनकर कई सांसद हैरान रह गए। अपने संबोधन में इकरा हसन ने कहा कि वंदे मातरम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का अभिन्न हिस्सा रहा है और इसके प्रति सम्मान सभी का कर्तव्य है। उन्होंने विशेष रूप से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का उदाहरण देते हुए कहा कि वाजपेयी जी ने हमेशा ‘राजधर्म’ का पालन करते हुए यह सुनिश्चित किया कि राष्ट्रगीत को कोई अनिवार्यता नहीं, बल्कि सम्मान और स्वैच्छिक भाव से अपनाया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की विविधता ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है और वंदे मातरम इसी एकता, मातृभूमि प्रेम और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है।
अर्थ बताते ही सदन में दिखी हैरानी
जब इकरा हसन ने वंदे मातरम का शब्दार्थ समझाया— “मां, तुझे नमन… तू हरियाली, तू जलधारा, तू सुगंध, तू समृद्धि की जननी…” तो सदन में बैठे कई सदस्य आश्चर्यचकित हो गए। कई सांसदों ने बाद में कहा कि वे राष्ट्रगीत का यह विस्तृत और काव्यात्मक अर्थ पहली बार किसी सांसद से सुन रहे थे। उनके शांत, संयत और तथ्यात्मक भाषण को सभी दलों के कई सदस्यों ने सराहा।
सोशल मीडिया पर छाया वीडियो
इकरा हसन का यह संबोधन सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से वायरल हो रहा है। ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर लोग इसे ‘संतुलित’, ‘तथ्य आधारित’ और ‘सकारात्मक संदेश’ देने वाला भाषण करार दे रहे हैं। कई यूजर्स ने लिखा कि यह संबोधन बताता है कि राष्ट्रगीत या राष्ट्रगान का सम्मान किसी दबाव से नहीं, बल्कि समझ और भावनात्मक जुड़ाव से बढ़ता है।