1984 सिख दंगा पीड़ितों को न्याय की पहल, 36 आश्रितों को मिली सरकारी नौकरी, सीएम रेखा गुप्ता ने बांटे नियुक्ति पत्र

डिजिटल डेस्क- दिल्ली सचिवालय में शुक्रवार को 1984 सिख दंगों से प्रभावित परिवारों के लिए एक अहम और भावनात्मक पल देखने को मिला, जब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने 36 आश्रितों को सरकारी नियुक्ति पत्र सौंपे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह केवल रोजगार देने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि उन परिवारों की गरिमा, अधिकार और पहचान को औपचारिक मान्यता देने का प्रयास है, जिन्होंने देश के इतिहास की सबसे दर्दनाक त्रासदियों में से एक को झेला है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि वर्ष 1984 के सिख दंगे भारत के इतिहास का ऐसा काला अध्याय हैं, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। उस समय जिन परिवारों ने अपने परिजन खोए, उनके घाव आज भी हरे हैं और उनके दर्द की कोई भी भरपाई संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार का कर्तव्य है कि पीड़ित परिवारों को सम्मान के साथ जीवन जीने का अवसर दिया जाए और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जाए।

इससे पहले 19 दंगा पीड़ितों के परिवारों को दी गई थी नौकरी

मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि दिल्ली सरकार लगातार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। कुछ सप्ताह पहले 19 दंगा पीड़ित परिवारों के आश्रितों को सरकारी नौकरी के नियुक्ति पत्र सौंपे गए थे और अब इसी कड़ी में 36 और लोगों को विभिन्न सरकारी विभागों में मल्टी टास्किंग स्टाफ (एमटीएस) के पद पर नियुक्त किया गया है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भविष्य में भी ऐसे प्रयास जारी रहेंगे, ताकि कोई भी पीड़ित परिवार खुद को अकेला न महसूस करे। इस मौके पर कैबिनेट मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि 1984 दंगा पीड़ित परिवारों का संघर्ष बेहद लंबा और पीड़ादायक रहा है। ये परिवार वर्षों तक अदालतों से लेकर सड़कों तक न्याय की लड़ाई लड़ते रहे।

आयु सीमा और शैक्षणिक योग्यता में दी गई विशेष रियायत

उन्होंने बताया कि यह देश के इतिहास में पहली बार है जब किसी सरकार ने आयु सीमा और शैक्षणिक योग्यता दोनों में विशेष रियायत देकर दंगा पीड़ित परिवारों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दी है। कैबिनेट मंत्री ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि यह फैसला न केवल पीड़ितों के घावों पर मरहम लगाने का काम करेगा, बल्कि उन्हें आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता भी प्रदान करेगा। कार्यक्रम के दौरान नियुक्ति पत्र पाने वाले आश्रितों और उनके परिवारों की आंखों में संतोष और उम्मीद साफ दिखाई दी।

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