डिजिटल डेस्क- दिल्ली की जहरीली हवा से राहत दिलाने के लिए जिस कृत्रिम बारिश (क्लाउड सीडिंग) प्रोजेक्ट पर सरकार ने उम्मीद जताई थी, वह फिलहाल थम गया है। आईआईटी कानपुर ने बुधवार को साफ किया कि अब क्लाउड सीडिंग का अगला चरण नहीं किया जाएगा, क्योंकि बादलों में नमी की कमी है। मौसम की मौजूदा स्थिति को देखते हुए वैज्ञानिकों ने इसे फिलहाल स्थगित करने का निर्णय लिया है। आईआईटी कानपुर की टीम ने बताया कि मंगलवार को क्लाउड सीडिंग का पहला प्रयास किया गया था। हालांकि बारिश नहीं हुई, लेकिन परीक्षण से यह साफ हुआ कि इस प्रक्रिया के बाद दिल्ली की हवा में मौजूद प्रदूषक कणों के स्तर में हल्की गिरावट दर्ज की गई है। डेटा के अनुसार, दिल्ली में PM2.5 और PM10 स्तर में करीब 6 से 10 प्रतिशत तक कमी आई, जो वायु गुणवत्ता में सुधार का संकेत है।
क्या वजह रही नाकामी की ?
आईआईटी कानपुर के अधिकारियों ने कहा कि कृत्रिम बारिश तभी संभव है जब बादलों में पर्याप्त नमी मौजूद हो। वर्तमान में वायुमंडल में नमी का स्तर बेहद कम है, जिससे बारिश की संभावना न के बराबर है। “जब तक मौसम की स्थिति अनुकूल नहीं होती, तब तक क्लाउड सीडिंग की अगली कोशिश नहीं की जाएगी,” वैज्ञानिकों ने कहा।
पर्यावरण मंत्री का आया बयान
वहीं, दिल्ली सरकार ने इस ट्रायल को सफल माना है। पर्यावरण मंत्री ने कहा कि भले ही बारिश नहीं हुई, लेकिन हवा में प्रदूषण के स्तर में कमी आई है, जो इस तकनीक की क्षमता को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में जैसे ही मौसम अनुकूल होगा, क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया दोबारा शुरू की जाएगी।
कई इलाकों में 400 पार AQI
दिवाली के बाद दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। पराली जलाने, वाहनों के धुएं और पटाखों के प्रभाव से हवा में धूल और धुएं के कणों की मात्रा खतरनाक स्तर तक पहुंच चुकी है। कई इलाकों में AQI 400 के पार दर्ज किया गया है। इससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और गले में खराश जैसी दिक्कतें हो रही हैं।