सबसे बुरे दौर से गुजर रही देश की सबसे पुरानी पार्टी को 19 अक्टूबर को मिलेगा नया अध्यक्ष

कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौतियां राष्ट्रीय अध्यक्ष के बाद उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष का भी चुनाव अभी बाकी है

संगठन विहीन हो चुकी कांग्रेस उत्तर प्रदेश में किस चेहरे के दम पर 2024 के मैदान में उतरेगी

अपने राजनीतिक इतिहास में कांग्रेश सबसे बुरे दौर से गुजर रही है ऐसे में कौन होगा कांग्रेस का खेवनहार

एक एक कर बड़े पुराने नेता कांग्रेस पार्टी को कर रहे हैं नमस्ते

ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर गुलाम नबी आजाद तक दर्जनों बड़े पुरानी कांग्रेसी पार्टी को कर चुके हैं अलविदा

कांग्रेस पार्टी के नए अध्यक्ष के चुनाव की तारीख तय हो गई है। 17 अक्टूबर को पार्टी के नए अध्यक्ष के लिए वोटिंग होगी। वहीं 19 अक्टूबर को काउंटिंग होगी। इससे पहले कांग्रेस वर्किंग कमेटी की वर्चुअल बैठक हुई थी। इसमें अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और प्रियंका गांधी के साथ पार्टी सांसद राहुल गांधी भी शामिल हुए थे।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के बाद पार्टी ने नए पार्टी अध्यक्ष के चुनाव का फैसला लिया है। पार्टी अध्यक्ष चुनाव के लिए शिड्यूल भी जारी कर दिया गया है।

इसके मुताबिक 22 सितंबर को नोटिफिकेशन जारी होगा। वहीं 24 सितंबर कर नामांकन किया जा सकेगा। नामांकन पत्रों की वापसी के लिए 30 सितंबर की तारीख तय की गई है। इसके बाद 17 अक्टूबर को चुनाव और 19 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी।
लंबे समय से सोनिया हैं अंतरिम अध्यक्ष
सीडब्ल्यूसी ने पिछले साल जिस कार्यक्रम को मंजूरी दी थी, उसके मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया 21 अगस्त से 20 सितंबर के बीच पूरी की जानी थी। राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी पार्टी की कमान संभाल रही हैं।

अपने राजनीतिक इतिहास में सबसे बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस पार्टी को 19 अक्टूबर को नया अध्यक्ष मिल जाएगा । नए अध्यक्ष के ऐलान का शेड्यूल जारी हो गया है। कांग्रेस पार्टी जब से गठित हुई है तब के इतिहास से अब तक का सबसे बुरा दौर झेल रही है, कुछ चंद राज्यों में सरकार रह गई है , संगठन के पुराने कार्यकर्ता पदाधिकारी एक-एक कर कांग्रेस छोड़ रहे हैं गुलाम नबी आजाद से लेकर माधव राज सिंधिया तक दर्जनों बड़े नेता कांग्रेस को छोड़ चुके हैं ऐसे में संगठन दिन कांग्रेस 2024 लोकसभा चुनाव के लिए नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव की तारीख ए तो तय कर लिया है लेकिन क्या 2024 में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी से मुकाबला कर पाएगी ।

 

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश जहां 80 लोकसभा सीटें आती है उसके लिए भी कांग्रेस को अभी प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा करना बाकी है ऐसा बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष का चुनाव होगा केंद्रीय नेतृत्व नए प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष का एलान करेगी लेकिन संगठन विहीन हो चुकी कांग्रेस उत्तर प्रदेश में इस चेहरे के नेतृत्व में 2024 लोकसभा चुनाव लड़ेगी अभी तय करना बाकी है। वैसे कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश में क्षेत्रीय दल समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर 2017 विधानसभा चुनाव में अपने जनाधार को बढ़ाने की कोशिश की थी लेकिन कांग्रेस को तो फायदा नहीं हुआ लेकिन समाजवादी पार्टी को उसका फायदा जरूर हुआ 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेतृत्व ने बहुजन समाजवादी पार्टी से गठबंधन की कोशिश की थी लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती की तरफ से हरी झंडी ना मिलने की वजह से अकेले मैदान में उतरी और मात्र 1 सीटों से संतोष करना पड़ा। कांग्रेस कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी एकलौती सांसद उत्तर प्रदेश से जीतकर गई थी यहां तक कि राहुल गांधी भी अपना संसदीय क्षेत्र अमेठी से चुनाव हार गए थे ऐसे में संगठन विहीन हो चुके कांग्रेश उत्तर प्रदेश में इस तरह से अपने संगठन का विस्तार करेगी जनाधार कैसे बढ़ाएगी किसके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश का चुनाव लड़ेगा कांग्रेस के सामने पहाड़ जैसी चुनौती है ।

मंथन के बाद 8 नाम आए बाहर 

मंथन के बाद 1 दलित, दो ब्राह्मण, 3 मुस्लिम और दो जनरल समुदाय के नेताओं के नाम सामने आए। हालांकि, आखिर में एक दलित और दूसरे ब्राह्मण नेता पर गंभीर मंथन किया जा रहा है।

2024 लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस सूत्रों का दावा है कि प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा के बाद उत्तर प्रदेश में कुछ क्षेत्रीय दलों के साथ बातचीत होगी और उनके साथ गठबंधन कर 24 लोकसभा चुनाव के मैदान में कांग्रेसी उतरेगी और भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बेदखल करेगी लेकिन यह बातें अभी हवा हवाई है गठबंधन कांग्रेस ने 2017 में समाजवादी पार्टी जैसे बड़े क्षेत्रीय दल से गठबंधन किया था लेकिन परिणाम विपरीत रहा ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व के सामने उत्तर प्रदेश को लेकर बड़ी चुनौती है आगामी दिनों में देखना यह होगा कि कांग्रेस किस चेहरे के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में अपने संगठन का विस्तार करेगी और किस दल से गठबंधन करेगी जो 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा का मुकाबला करने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस की स्थिति कमोबेश जिस तरह से राष्ट्रीय नेतृत्व में है उसी तरह उत्तर प्रदेश में भी है उत्तर प्रदेश में भी ऐसा कोई चेहरा नहीं दिख रहा है जिसके नेतृत्व में 2024 चुनाव की तैयारी की जाए या फिर संगठन का विस्तार किया जाए कांग्रेसका संगठन पूरी तरह से खत्म हो चुका है प्रदेश स्तर की बात करें या फिर जिले स्तर की कांग्रेसी नेता विहीन हो चुकी है प्रियंका गांधी वाड्रा ने 2017 से 2019 के बीच उत्तर प्रदेश का प्रभार अपने स्तर पर लिया और उन्होंने खूब मेहनत की लेकिन परिणाम बिल्कुल विपरीत रहा गाजियाबाद से लेकर गाजीपुर कुशीनगर से लेकर चित्रकूट तक प्रियंका गांधी वाड्रा ने खूब जमकर मेहनत की संगठन को मजबूत करने की कोशिश की , प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश के प्रभारी के साथ-साथ राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश में खूब पसीने बहाने खूब धरना प्रदर्शन किया लेकिन 2017 विधानसभा और 2019 लोकसभा चुनाव में परिणाम बिल्कुल विपरीत रहा । प्रियंका गांधी वाड्रा के उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाए जाने के बाद उम्मीद यह लगाई जा रही थी कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेसी अब खड़ी हो जाएगी लेकिन स्थिति जस की तस रही सीट बढ़ने के बजाय लोकसभा चुनाव में घट गई कांग्रेस एक सांसद ही जीता पाई ऐसे में अब 2024 की चुनौती कांग्रेस किसके नेतृत्व में किसको राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाएगी या फिर उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष किसको बनाया जाएगा जिसके नेतृत्व में 2024 के मैदान में कांग्रेश उतरेगी यह देखने वाली बात होगी आगामी दिनों में या पता चलेगा कि आखिर कांग्रेस का अध्यक्ष उत्तर प्रदेश कौन होगा किसके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश 2024 में कांग्रेस मैदान में उतरेगी ।

सूत्रों के अनुसार प्रियंका जहां राजेश मिश्रा का समर्थन कर रही हैं, वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी निर्मल खत्री के पक्ष में हैं। नौकरशाही से राजनीति में कदम रखने वाले पीएल पुनिया का नाम भी इस दौड़ में शामिल है।अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले पुनिया भी पार्टी के भरोसेमंद चेहरे हैं।

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