KNEWS DESK… छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ रश्मि गौतम ने इंस्टिट्यूट फ़ॉर इंजीनियरिंग रिसर्च एंड पब्लिकेशन (आईएफईआरपी) साउथ कोरिया द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय काॅन्फ्रेंस में भाग लिया। जहां पर डाॅ. रश्मि गौतम ने “Role of Radio as ICT tool in Education: A Case Study” (ICMATSD-2023) विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किया। यह काॅन्फ्रेंस ऑफलाइन और ऑनलाइन सम्पन्न हुई।
दरअसल आपको बता दें कि CSUMU कानपुर के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ रश्मि गौतम ने अपने शोध पत्र के माध्यम से भारत में शिक्षा के विकास में रेडियो की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। भारत में “रेडियो” शिक्षा के क्षेत्र में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का कार्य कर रहा है। शिक्षा के प्रति भारत के विभिन्न शिक्षण संस्थानों द्वारा शिक्षा परक रेडियो कार्यकृम एवं विषयगत कार्यकृम दूरस्थ शिक्षा के लिये शिक्षकों का पर्याय बनते जा रहे हैं। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में रेडियो, वेब रेडियो, ऑनलाइन रेडियो एवं पॉडकास्टिंग के रूप में युवाओं में शिक्षण संस्थानों के विकल्प हैं जो उनको विभिन्न विषयों की जानकारी देकर शिक्षित करने का कार्य कर रहे हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि इस शोध पत्र में आकाशवाणी कानपुर द्वारा प्रसारित विद्या वाणी कार्यक्रमों में बहुत से कार्यक्रम रूसा प्रोजेक्ट के अंतर्गत छत्रपति शाहू जी विश्वविद्यालय कानपुर द्वारा कार्यक्रमों को शिक्षा हेतु तैयार कर प्रसारित किये गये हैं जिनका लाभ उन छात्र-छात्राओं को मिला जो संस्थागत शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ हैं। इसी तरह पूरे भारत में सामुदायिक रेडियो, पॉडकास्टिंग, रेडियो वेब पोर्टल आदि के माध्यम से दूरस्थ शिक्षा में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के रूप में रेडियो ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
रेडियो जनमाध्यम होने के साथ साथ एक शिक्षक की भूमिका निभा रहा-असिस्टेंट प्रोफेसर रश्मि गौतम
इस शोध पत्र में डॉ रश्मि गौतम ने भारत के विभिन्न शिक्षण संस्थानों जैसे आई आई टी कानपुर, आई आई टी पुणे, चेन्नई, अन्ना रेडियो, अपना रेडियो आदि का उल्लेख किया है जो विषयगत जानकारी देते हुए अपने छात्र छात्राओं को रेडियो कार्यकृमों का निर्माण, लेखन एवं प्रस्तुति का प्रैक्टिकल प्रशिक्षण भी देते है। साथ ही साथ बताया कि रेडियो जनमाध्यम होने के साथ साथ एक शिक्षक की भूमिका निभा रहा है। यही कारण है भारत में ‘स्कूल चलो अभियान’ एवं ‘सर्व शिक्षा अभियान’ जैसे सरकारी कार्यकृमों को सफल क्रियान्वयन हेतु रेडियो का सहारा लिया गया और 2011 की जनगणना में शिक्षा का स्तर लगभग 76 प्रतिशत हो पाया। इसमें प्रसार भारती के ज्ञानवाणी जैसे रेडियो चैनल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।