बजट सत्र आया, भू-कानून का मुद्दा गरमाया !

Knews India, उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र 18 से 24 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा है। बजट सत्र से पहले भू-कानून और मूल निवास को लेकर विपक्षी पार्टियां सवाल उठाने लगी है। लंबे समय से इन मांगों को लेकर आवाज उठाई जा रही है, लेकिन अभी तक सशक्त भू कानून और मूल निवास के मुद्दे पर सरकार कोई फैसला नहीं कर पाई है। माना जा रहा है कि इसी माह आयोजित होने जा रहे बजट सत्र में इन मुद्दों को लेकर हंगामा होगा। दूसरी ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले से ही भू-कानून को इस बजट सत्र में लाने की बात कह रहे हैं। शासन स्तर से इसे लेकर सभी जिलाधिकारियों को निर्देश भी जारी किए गए हैं कि किसी भी बाहरी व्यक्ति की अगर प्रदेश में 250 वर्ग से अधिक भूमि है तो उसकी जांच की जाए। पूरे राज्य में ऐसे कई मामले सामने भी आ रहे हैं। दरअसल, उत्तराखंड में भी हिमाचल की तरह सशक्त भू-कानून लाने की मांग की जा रही है। विपक्ष का कहना है कि मूल निवास और भू-कानून के मुद्दे को भूलाने के लिए सरकार ने यूसीसी कानून लागू किया है। वहीं, भाजपा प्रदेश में सशख्त भू-कानून लेकर आने की बात कह रही है। बजट सत्र में इससे संबंधित विधेयक विधानसभा के पटल लाए जाने की उम्मीद की जा रही है। उत्तराखंड के सीएम प्रदेश के मुखिया का कार्यकाल संभालने के बाद से ही राज्य में सशक्त भू-कानून की बात कहते रहे हैं। भू-कानून के लिए कई समितियां भी गठित की गई हैं।

9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से पृथक होकर बने उत्तराखंड राज्य के कई कानून यूपी की नियमावली के हिसाब से ही लागू हैं। लंबे समय से राजनीतिक पार्टियां मूल निवास और भू-कानून को लेकर सरकार से मांग कर रही है। प्रदेश की बजाय दूसरे राज्यों के कई लोग औने-पौने दामों पर उत्तराखंड में जमीनें खरीद रहे हैं। हालांकि प्रदेश के मुख्य सचिव ने ऐसे मामलों की जांच के लिए सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं और 250 वर्ग से अधिक भूमि खरीदने वाले बाहरी राज्यों के लोगों पर कार्रवाई कर रही है, लेकिन अभी तक ऐसे किसी मामले में जांच पूरी नहीं हुई है। अब विपक्ष इस बजट सत्र में मूल निवास और भू-कानून को प्रदेश में लागू करने की मांग उठा रहा है। मूल निवास की अवधि 1950 से लागू करने की मांग की जा रही है। वहीं, भाजपा का कहना है धामी सरकार भू कानून में कई संशोधन कर रही है। जल्द ही राज्य में सशख्त भू कानून लागू किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रदेश में भू-कानून लागू करने के लिए समय-समय पर कह चुके हैं। इस बार बजट सत्र में भू-कानून बनाने की दिशा में नया कदम सरकार उठा सकती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कई बार कह चुके हैं कि प्रदेश में जिस उपयोग के लिए जमीन ली गई है उसका वही प्रयोग किया जाए।

उत्तराखंड में मूल निवास और भू-कानून की मांग लंबे समय से चली आ रही है, लेकिन कांग्रेस हो या भाजपा की तमाम सरकारों ने अभी तक कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई है। 13 जिलों के छोटे प्रदेश उत्तराखंड में कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने बड़े स्तर पर जमीनें खरीदें हैं। कई लोग कृषि भूमि खरीदकर उनमें व्यावसायिक गतिविधियां कर रहे हैं। उत्तराखंड सरकार ने भी अभी तक कोई ऐसा भू-कानून पास नहीं किया है, लेकिन शासन स्तर से सभी जिलों के जिलाधिकारियों को जांच करने के आदेश दिए हैं। वहीं, मूल निवास के मुद्दे पर अभी तक सरकार कोई निर्णय नहीं ले पाई है। इसके अलावा प्रदेश में एक और यूसीसी कानून जरूर लागू किया गया है।

25वें वर्ष में प्रवेश कर रहे उत्तराखंड राज्य में भू कानून और मूल निवास की कट ऑफ डेट 1950 से लागू करने की मांग जोर पकड़ रही है। राज्य के कुछ इलाकों में बढ़ रही जनसंख्या भी कहीं न कहीं सरकार की चिंता बढ़ा रहा है। वहीं, अब देखना होगा कि सरकार 18 फरवरी से होने जा रहे बजट सत्र में इन दोनों मुद्दों को लेकर किस तरह अपना पक्ष रखती है। अगर प्रदेश में भू-कानून पास हुआ और मूल निवास की कट ऑफ डेट 1950 होती है तो यह प्रदेश की जनता के लिए बहुत बड़ा फैसला होगा। देखना होगा कि प्रदेश की धामी सरकार भू-कानून और मूल निवास पर क्या फैसला विधानसभा सत्र में लेती है।

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