अशोक सिद्धार्थ को निष्कासित करने के बाद सख्त हुईं बसपा सुप्रीमो, कहा- ये होगा उनका वास्तविक उत्तराधिकारी

KNEWS DESK-  बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने पार्टी की विचारधारा और आंदोलन को आगे बढ़ाने के अपने दृढ़ संकल्प को एक बार फिर से दोहराया। मायावती ने स्पष्ट किया कि वह अपनी आखिरी सांस तक कांशीराम के दिखाए हुए रास्ते पर चलते हुए बहुजन समाज के उत्थान और राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करती रहेंगी।

मायावती ने कहा, “कांशीराम की शिष्या और उत्तराधिकारी होने के नाते, मैं अपनी पूरी जिंदगी इसी आंदोलन के लिए समर्पित करूंगी। मेरा उद्देश्य है कि बहुजन समाज के लोग सामाजिक और राजनीतिक गुलामी से मुक्त हो सकें, ताकि वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें। इस मिशन को आगे बढ़ाने के लिए स्वार्थ या रिश्ते-नाते कभी महत्वहीन रहे हैं, मेरे लिए सिर्फ बहुजन हित ही सर्वोपरि है।”

यह बयान मायावती ने अपने समधी और पार्टी के वरिष्ठ नेता अशोक सिद्धार्थ को बसपा से बाहर किए जाने के बाद दिया। इस कदम के बाद उनके बयान के राजनीतिक मायने तलाशे जा रहे हैं, खासकर इस समय जब पार्टी के अंदर बदलाव और संगठन की दिशा को लेकर चर्चाएं तेज हैं।

मायावती ने पार्टी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को संदेश दिया कि वे पूरी निष्ठा और ईमानदारी से पार्टी के लिए काम करें। उन्होंने कहा, “बसपा का आंदोलन डॉ. आंबेडकर द्वारा शुरू किए गए बहुजन समाज के आत्मसम्मान के अभियान पर आधारित है, जिसे कांशीराम ने त्याग और संघर्ष से आगे बढ़ाया। यह आंदोलन तब ही आगे बढ़ेगा जब हम कांशीराम की तरह हर कष्ट और कठिनाई का सामना करते हुए इसे हर हाल में जारी रखें।”

उन्होंने पार्टी के सभी छोटे-बड़े पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे पार्टी संगठन की जमीनी स्तर पर मजबूती के लिए काम करें और चुनावी तैयारियों में पूरी ताकत से जुटें। मायावती ने पार्टी के जनाधार को बढ़ाने के लिए कार्यकर्ताओं को अपनी जिम्मेदारी निभाने की सलाह दी।

मायावती के इस बयान ने पार्टी के भीतर और बाहर चल रही राजनीतिक हलचलों के बीच एक नई दिशा की ओर इशारा किया है, जिसमें वह कांशीराम के आदर्शों पर कायम रहते हुए पार्टी को और मजबूत बनाने की बात कर रही हैं।

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