KNEWS DESK – दिल्ली शराब घोटाले में फंसे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रचार के लिए 21 दिनों की अंतरिम जमानत दी थी जो आज ख़त्म हो गयी है| दो जून को उन्हें सरेंडर करना है| वहीं केजरीवाल ने बीते दिनों कोर्ट में याचिका दायर की थी| जिसमें उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाए जाने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका स्वीकार नहीं की। वहीं अब बीजेपी के विजय गोयल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस भेजी|
अरविंद केजरीवाल
केजरीवाल ने 26 मई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी अंतरिम जमानत को सात दिन बढ़ाने की मांग की थी। याचिका में उन्होंने कहा था कि उन्हें पीईटी-सीटी स्कैन सहित कुछ मेडिकल जांच से गुजरना है। उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया था कि जेल में उनका सात किलो वजन कम हो गया है और उनका कीटोन स्तर “बहुत अधिक” है, जो गंभीर बीमारी का संभावित संकेत है। जिसे लिए गोयल एम्बुलेंस लेकर केजरीवाल के घर पहुँच गए हालांकि, पुलिस ने सिविल लाइंस में मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास के रास्ते में एंबुलेंस और गोयल को रोक दिया।
विजय गोयल ने लगाये आरोप
गोयल ने आरोप लगाया कि केजरीवाल लोगों की सहानुभूति पाने के लिए स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों का हवाला देकर “नाटक रच रहे हैं”। उन्होंने मीडिया से कहा, “यह एम्बुलेंस केजरीवाल को किसी भी अस्पताल में ले जाने के लिए थी, जहां दो से तीन घंटे के भीतर उनके सभी परीक्षण किए जा सकते हैं।”
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री को उनके स्वास्थ्य की चिंता है तो उन्हें “नाटक” बंद कर देना चाहिए और उनके साथ परीक्षण के लिए चले। इससे पहले, आप नेता और मंत्री आतिशी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था कि केजरीवाल का वजन 7 किलोग्राम कम हो गया है और उनका कीटोन स्तर भी अधिक है और डॉक्टरों का कहना है कि यह उनके गुर्दे या यहां तक कि कैंसर की समस्या का लक्षण हो सकता है। दिल्ली की एक अदालत मुख्यमंत्री द्वारा अंतरिम जमानत की मांग करने वाली याचिका पर आज बाद में सुनवाई कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने बुधवार को मेडिकल परीक्षण के लिए उनकी अंतरिम जमानत को सात दिन बढ़ाने की मांग वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया और कहा कि चूंकि केजरीवाल को नियमित जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जाने की स्वतंत्रता दी गई है, इसलिए याचिका विचारणीय नहीं है।
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