करारी हार के बीच तेजस्वी यादव चुने गए विधायक दल के नेता, एक बार फिर संभालेंगे नेता प्रतिपक्ष की कमान

डिजिटल डेस्क- बिहार विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद राजनीतिक हलचल तेज है। एक ओर एनडीए अपने नए सरकार गठन की तैयारियों में जुटा है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी आरजेडी में मंथन का दौर जारी है। सोमवार को आरजेडी ने अपने सभी हारे और जीते उम्मीदवारों की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई, जिसमें चुनावी प्रदर्शन की समीक्षा की गई। इस बैठक में 143 प्रत्याशी शामिल हुए। मीटिंग का सबसे बड़ा निर्णय यह रहा कि तेजस्वी यादव को विधायक दल का नेता चुना गया, जिसके बाद अब वे विधानसभा में एक बार फिर नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभाएंगे।

करारी हार पर आरजेडी का मंथन

इस चुनाव में महागठबंधन को बड़ा झटका लगा है। महागठबंधन कुल 35 सीटों पर सिमट गया, जिसमें आरजेडी को सिर्फ 25 सीटें मिलीं, कांग्रेस को 6 और अन्य प्रत्याशियों को 4 सीटें मिलीं। चुनाव परिणामों ने साफ कर दिया कि जनता ने महागठबंधन को पूरी तरह नकार दिया। बैठक में इस हार के कारणों पर लंबी चर्चा हुई। यह सवाल उठाया गया कि जनता ने आखिर किस वजह से आरजेडी पर भरोसा नहीं जताया और पार्टी को पिछले चुनाव से भी खराब प्रदर्शन का सामना क्यों करना पड़ा। उम्मीदवारों ने अपने अनुभव साझा किए और उन कमियों पर भी बात की, जिनकी वजह से वोटर पार्टी से दूर हुए। कई नेताओं ने संगठनात्मक ढांचे की कमजोरियों, स्थानीय स्तर पर समन्वय की कमी और चुनाव प्रचार में रणनीतिक चूक का भी जिक्र किया।

तेजस्वी यादव फिर से नेता प्रतिपक्ष

बिहार में नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए कम से कम 24 विधायकों का होना जरूरी है। आरजेडी के पास 25 विधायक होने के कारण तेजस्वी स्वाभाविक विकल्प बने। विधायक दल ने सर्वसम्मति से उन्हें अपना नेता चुना। तेजस्वी अब विपक्ष की ओर से सरकार पर निगरानी और सवाल उठाने की भूमिका निभाएंगे। पार्टी के भीतर भी यह संदेश देने की कोशिश की गई कि हार के बावजूद नेतृत्व मजबूत है और आने वाले समय में पार्टी संगठन को पुनर्जीवित करने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे। बताते चलें कि चुनावी हार के साथ-साथ आरजेडी के भीतर पारिवारिक विवाद भी खुलकर सामने आ गया है। लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर गंभीर आरोप लगाया है कि उनके साथ परिवार में गलत व्यवहार किया गया। उन्होंने दावा किया कि उन्हें धक्का देकर चप्पल उठाने को कहा गया और घर से बाहर निकालने की धमकी भी दी गई। रोहिणी के निशाने पर सीधे तेजस्वी यादव रहे। हालांकि अभी तक तेजस्वी की ओर से इस विवाद पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, लेकिन इन आरोपों ने आरजेडी की छवि पर नया सवाल खड़ा कर दिया है।