डिजिटल डेस्क- बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जन सुराज पार्टी की भारी हार के बाद प्रशांत किशोर ने खुलकर अपनी भावनाओं और भविष्य की रणनीति पर बात की है। निजी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने स्वीकार किया कि नतीजे उनके लिए एक बड़ा झटका थे और पिछले एक हफ्ते से वह ठीक से सो नहीं पाए हैं। प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना उनका एक बड़ा निर्णय था और अब वह इसे गलती के रूप में देखते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें यकीन था कि उनकी पार्टी को 12-15% वोट मिलेंगे, लेकिन सिर्फ 3.5-4% वोट मिलना उनके अनुमान से बहुत कम था। जन सुराज पार्टी 238 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद एक भी सीट नहीं जीत सकी और 236 सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई। पीके ने कहा, “हमने जाति और धर्म का जहर नहीं फैलाया, यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। BJP के भी एक समय सिर्फ दो सांसद थे—हम भी फिर से उठ खड़े होंगे।”
असफल होने का अर्थ ये नहीं कि हम रूक जाए- प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर ने बताया कि उन्होंने बिहार के बदलाव के लिए 10 साल का समय तय किया था, जिसमें से साढ़े तीन साल बीत चुके हैं। उन्होंने कहा, “10वें साल में सफलता पाने की योजना थी, तीन साल में नहीं। लेकिन असफल होने का अर्थ यह नहीं कि हम रुक जाएंगे। जब तक आप हार नहीं मानते, तब तक आप हारते नहीं।” उन्होंने दावा किया कि जन सुराज पार्टी भले ही चुनावी जीत न दर्ज कर पाई हो, लेकिन उसने राज्य में राजनीतिक विमर्श को जाति-धर्म की राजनीति से हटाकर रोजगार, पलायन और विकास जैसे मुद्दों की ओर मोड़ा है। पीके ने कहा कि वह बिहार की राजनीति में बदलाव लाने की अपनी लड़ाई जारी रखेंगे और “बिहार जीते बिना पीछे नहीं हटेंगे।”
10 हजार न देते तो 25 सीटों पर सिमट जाती जदयू
किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि यदि चुनाव से ठीक पहले सरकार ने 60,000 लाभार्थियों को 10,000 रुपये नहीं बांटे होते और महिलाओं को 2 लाख रुपये की सहायता योजना का वादा नहीं किया होता, तो JDU 25 सीटों पर सिमट जाती। उन्होंने आरोप लगाया कि एनडीए सरकार ने जनता के पैसों से 40,000 करोड़ रुपये की घोषणाएं कीं और चुनावी लाभ उठाया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीके ने जन सुराज की असफलता की पूरी जिम्मेदारी लेते हुए कहा, “जनता की अपेक्षाओं पर खरा न उतर पाने के लिए मैं माफी मांगता हूं। यह मेरी जिम्मेदारी है।” उन्होंने घोषणा की कि वह दो दिन बाद गांधी आश्रम में 24 घंटे का उपवास रखेंगे और आत्ममंथन करेंगे।