जनवरी के पहले हफ्ते में नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार संभव, NDA में सहमति, 12 नए मंत्री हो सकते हैं शामिल

डिजिटल डेस्क- बिहार में 20 नवंबर 2025 को नई सरकार के गठन के बाद अब नीतीश कुमार सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारियां तेज हो गई हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसी दिन दसवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। अब करीब डेढ़ महीने बाद राज्य की राजनीति में एक बार फिर हलचल बढ़ गई है और माना जा रहा है कि जनवरी के पहले सप्ताह में बिहार मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, इसको लेकर एनडीए के सभी सहयोगी दलों के बीच सहमति बन गई है। भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) के शीर्ष नेतृत्व के बीच मंत्रिपरिषद विस्तार को लेकर बातचीत पूरी हो चुकी है। फिलहाल नीतीश मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित कुल 24 मंत्री हैं, जबकि संवैधानिक प्रावधानों के तहत बिहार में अधिकतम 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं। ऐसे में अभी 11 से 12 मंत्री पद खाली हैं, जिन्हें जनवरी में भरे जाने की संभावना है।

हाल ही में हुई थी पीएम मोदी से मुलाकात

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, मंत्रिमंडल विस्तार की पटकथा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हालिया दिल्ली यात्रा के दौरान ही लिख दी गई थी। चार दिन पहले सोमवार को नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इस बैठक में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और जेडीयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह भी मौजूद थे। इसके बाद नीतीश कुमार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी अलग से मुलाकात की। सूत्रों का कहना है कि इन बैठकों में बिहार मंत्रिमंडल विस्तार की रणनीति और संभावित नामों पर चर्चा हुई।

सभी वर्गों को साधने की कोशिश

नीतीश सरकार के इस पहले विस्तार में एनडीए सामाजिक, राजनीतिक और जातिगत संतुलन साधने की पूरी कोशिश करेगा। खाली पड़े 12 मंत्री पदों में से कुछ जेडीयू के खाते में जाएंगे, जबकि कुछ बीजेपी को मिलने तय माने जा रहे हैं। एनडीए नेतृत्व का फोकस ऐसा संतुलन बनाने पर है, जिससे किसी भी दल या वर्ग में असंतोष न पनपे। फिलहाल मंत्रिपरिषद में तीन महिला मंत्री और एक मुस्लिम मंत्री शामिल हैं। महिला मंत्रियों में जेडीयू की लेशी सिंह और बीजेपी की रमा निषाद व श्रेयसी सिंह शामिल हैं। वहीं एकमात्र मुस्लिम मंत्री मोहम्मद ज़मा ख़ान जेडीयू से हैं, जो चैनपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं। माना जा रहा है कि विस्तार के दौरान महिला और अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व बढ़ाने पर भी विचार किया जा सकता है।

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