बिहार के मोकामा में फिर फायरिंग, हजमा गांव में गोलीबारी से दहशत का माहौल

KNEWS DESK-  बिहार के मोकामा में एक बार फिर फायरिंग की घटना सामने आई है। गुरुवार रात को मोकामा के हजमा गांव में गोलीबारी हुई, जिसमें मुकेश नाम के व्यक्ति के घर पर फायरिंग की गई। मुकेश वह व्यक्ति है, जिसके संबंध को लेकर अनंत सिंह और सोनू-मोनू गैंग के बीच तनाव बढ़ गया था। फायरिंग की इस घटना के बाद से इलाके में दहशत का माहौल बन गया है।

घटना के मुताबिक, मुकेश के घर पर फायरिंग के दौरान कारतूस के खोखे भी बरामद किए गए हैं, जो इलाके में तनाव और हिंसा की स्थिति को दर्शाते हैं। इस मामले को लेकर पुलिस जांच कर रही है और माना जा रहा है कि यह घटना बर्चस्व की लड़ाई का हिस्सा हो सकती है।

इस गोलीबारी के बाद एक बुजुर्ग ने दावा किया कि गोलीबारी में लगभग 30-40 राउंड फायरिंग की गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि यह फायरिंग सोनू और मोनू गैंग के द्वारा की गई। बुजुर्ग ने यह भी बताया कि इस दौरान वे लगातार थाने में मदद के लिए फोन करते रहे, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की।

पिछली गोलीबारी से जुड़ा मामला

गुरुवार रात की गोलीबारी से पहले, बुधवार को मोकामा के पंचमहला थाना क्षेत्र के नौरंगा गांव में भी एक गोलीबारी की घटना सामने आई थी। यह घटना भी मुकेश से जुड़ी हुई थी, और इसमें पूर्व विधायक अनंत सिंह और सोनू-मोनू गैंग के बीच संघर्ष हुआ था। दोनों ओर से गोलीबारी हुई थी, और पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है।

नौरंगा गांव में हुई गोलीबारी को लेकर पुलिस ने तीन अलग-अलग केस दर्ज किए हैं। एक केस पुलिस ने अनंत सिंह और सोनू-मोनू पर किया है, जबकि दूसरा केस सोनू की मां ने और तीसरा केस मुकेश ने दर्ज कराया है। यह घटनाएं मोकामा क्षेत्र में हिंसा और संघर्ष को बढ़ावा देने वाली साबित हो रही हैं, जिसके कारण क्षेत्र में पुलिस की निगरानी बढ़ा दी गई है।

राजनीतिक और आपराधिक बर्चस्व की लड़ाई

मोकामा क्षेत्र में होने वाली इन घटनाओं के पीछे राजनीतिक और आपराधिक बर्चस्व की लड़ाई को माना जा रहा है। पूर्व विधायक अनंत सिंह और सोनू-मोनू गैंग के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है, और इस विवाद ने अब हिंसक रूप ले लिया है। घटनाओं के बढ़ते सिलसिले ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या क्षेत्र में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे या नहीं। यह घटनाएं मोकामा में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती हैं, और पुलिस प्रशासन को इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।

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